Sunday, December 22, 2024

सच की विडंबना

सच की विडंबना यही है 
कि झूठ उसे मारने की ताकत रखता है। 

कितना झूठ है सच का यह समझना 
कि वह हमेशा सच माना जाएगा,

कि अंत में जीत उसी की होगी 
और झूठ हार जाएगा,

कि न्याय हमेशा उसके पक्ष में होगा 
और झूठ को दंड मिलेगा,

कि ईमानदारी ही बेहतरीन नीति है 
और बेईमान का मुँह काला होता है 

सच, न्याय पर विश्वास कर ठगा जाता है 

Thursday, November 21, 2024

बीच के लोग!

दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं 
एक जो पैसों के लिए कुछ भी कर सकते हैं 
और दूसरे जो सिर्फ पैसों के लिए कुछ नहीं करना चाहते 
ये दोनों ही सुखी रहते हैं। 
और फिर होते इन दोनों के बीच के लोग जो अच्छा काम तो करना चाहते हैं पर साथ में पैसा भी चाहते हैं। इस तरह के लोग हर हाल में दुःखी पाए जाते हैं!

Tuesday, November 19, 2024

महफ़ूज़

मैं कभी किसी भीड़ वाले 
कॉन्सर्ट में नहीं गया 

भगदड़ मच गई तो?

मुझे थिएटर में जाने से 
परहेज था 

आग लग गई तो?

मैं नदियों, समंदर से
कोसों दूर रहा 

डूबा ले गई तो?

मैं यही रहा 

चाहर दीवारी में 

और फिर कब्र की मिट्टी में..


महफ़ूज़!!

कुबूल

जो बदल नहीं सका 
उसे कुबूल कर लिया 

मैंने अपनी इमारतों को 
यूँ धूल कर लिया 

ख़्वाहिश उसे पूरा का पूरा 
पाने की थी 
मैंने उसकी यादों को अपना रसूल कर लिया 

मर गया मैं 
तब जनाजे पर आए वो लोग 


जिनकी बातों ने मेरे कत्ल के लिए 
 खुद को शूल कर लिया 

अब हिरासत में हूँ तो सोचता रहता हूँ दिन रात 
जाने क्यों पकड़े जाने जितना मैंने भूल कर लिया 

आदत है उसको मुझे मनाने की 
ये मैं ही था जो रूठा रहा 
और खुद को दूर कर लिया 

एक चेहरे में कई किरदार छिपे हैं यहां ऐ दोस्त 
तू 

Tuesday, November 12, 2024

नाम या काम?

हम नाम के पीछे भागते रहते हैं 
फिर याद आता है कि 
काम से तो संतुष्ट हैं ही नहीं 

फिर हम काम के पीछे भागने लगते हैं 
और नाम खो देते हैं 

लोग पूछते हैं क्या काम करते हो?

और जिस काम में नाम नहीं है 
हम उस काम का नाम नहीं समझा पाते 

हम फिर कुंठित हो जाते हैं 
और एक बार फिर 

हम नाम के पीछे भागते रहते हैं 
फिर याद आता है कि 
काम से तो संतुष्ट हैं ही नहीं.....

To be contd...


Sunday, October 27, 2024

Taj Mahal

जब तक इश्क की मिसाल था,
सलामत रहा!

फिर देश की शान बना,
टिकटें रखी गईं,

पास होटल बने,
पेठे की दुकानें खुलने लगीं,

चाँदनी रातों पर extra charges,
और फोटोग्राफी के अलग पैसे!

इश्क से बिज़नेस बन गया...

और फिर 'ताज महल'
एक दिन ढह गया!!

28/10/2024
8 AM

Sunday, September 15, 2024

क्या समय आने पर doctors आपके साथ खड़े होंगे?

हम doctors के साथ है। उनके साथ दुर्व्यवहार होता है, अन्याय होता है तो सबसे पहले आम आदमी, आम आदमी के खिलाफ़ खड़ा हो जाता है। सभी दूसरों को आम आदमी इसलिए कहा क्योंकि Doctors को तो हम भगवान समझते हैं न!
पर जब Doctors आम आदमी के साथ दुर्व्यवहार करता है, अन्याय करता है तो क्या दूसरे Doctors खड़े होते हैं आम आदमी के लिए?
नहीं! वे तब भी अपने साथी doctor के साथ ही खड़ा होता है... और इसलिए इतना मुश्किल है किसी भी doctor के खिलाफ़ कुछ भी कहना। 
Doctor से appointment लेकर आप 5 मिनट भी देर नहीं कर सकते। आपकी appointment cancel कर दी जाएगी। लेकिन शायद ही कोई doctor हो जो आपको wait ना कराता हो। Doctor की appointment के लिए आपको अक्सर छुट्टी लेनी पड़ सकती है क्योंकि उनकी नजरों में सिर्फ उनके समय की वैल्यू है, आपके वक़्त की तो कोई कीमत है ही नहीं। 
मुझे भी हाल ही मे कुछ ऐसी ही सलाह दी मेरी Dentist ने। 
Implant का एक पार्ट हो चुका था। दूसरा कराने के लिए मैंने 3 महीने का इंतजार किया। हफ्ते भर तक appointments दी गई और ऐन वक़्त पर cancel की गई। इनमें से सिर्फ एक appointment मैंने पूछकर cancel की थी, क्योंकि उस दिन तेज बारिश थी और मुझे scooty से जाना था। 
आखिर करीब हफ्ते भर appointments cancel कर कर के मुझे finally बुलाया गया।
मैं हमेशा 6:45 की appointment लेती क्योंकि मेरा office 6:30 बजे खत्म होता है। 
Doctor से मैंने कहा भी कि 6:30 मुश्किल होता है, पर उन्होंने diary में अपनी सहूलियत के मुताबिक 6:30 लिखा। 
6:15 बजे उनकी पहली assistant का फोन आया।  मैंने कहा मैं 6:30 नहीं आ पाऊँगी, late होगा। उन्होंने ठीक है कहकर रख दिया। 
6:20 पर दूसरे assistant का फोन आया। मैं जल्दी काम खत्म करने की कोशिश में थी पर इन calls की वजह से मुश्किल हो रही थी। 
दूसरे assistant ने वही वाक्य दोहराया कि 6:30 का appointment है।
मैंने इस बार थोड़ा चिढ़कर कहा कि आप लोग बार बार क्यों call कर रहे हैं। मैंने 5 min पहले कहा कि थोड़ी देर होगी। 6:30 पहुंचना मुश्किल है। 
साथ ही ये भी कहा कि मैं mostly वक़्त पर ही आयी हूं पर हमेशा कम से कम आधा घंटा इंतजार किया है। एक दिन 15 min late आने की बात की तो आप बार बार call कर रहे हैं। 
मैं 6:35 को घर से निकली और 10 min में clinic पहुंच गई। 
Doctor अपने बेटे को हिन्दी का होमवर्क करा रही थी। साथ ही कह रही थी कि अगर मुझे इलाज कराना है तो मुझे उनके समय पर आना होगा, अपने नहीं! अगर मुझे इलाज कराना है तो मुझे छुट्टी लेनी चाहिए और वो जब कहे तब आना चाहिए, पर आज तो वो मेरा इलाज नहीं करेंगी। वैसे Saturday मेरी छुट्टी होती है और मैंने उनसे कहा भी था कि उस दिन वो जिस भी वक़्त कहेंगे मैं पहुंच जाऊंगी। पर उन्होंने Saturday का भी appointment cancel कर दिया था। 
गौर करिए कि मैं उनकी बतायी antibiotic खाकर आयी थी जो इलाज के एक दिन पहले से शुरू होनी थी। शुक्र है उनके appointment cancellation के track record की वजह से मैं ये एक हफ्ते से नहीं खा रही थी। 
मैंने उनसे अपने दिए 63000 रुपयों का refund माँगा तो उन्होंने कहा कि उसका तो वो इलाज कर चुकी हैं तो काहे का refund?
मैंने उनसे पूछा कि फिर वो कब करेंगी मेरा इलाज तो उन्होंने कहा कि उनकी appointments full हैं। बाद  में बतायेंगी। इस पर मैंने उनसे कहा कि वह  मुझे किसी और doxtor को refer कर दे। पर उन्होंने मना कर दिया। मैंने पूछा कि क्योंकि यह अधूरा इलाज है तो क्या कोई और Doctor इसे आगे कर पाएगा? उन्होंने कहा "मुझे क्या पता, कर लीजिए जो करना है, मैं भी देखती हूँ।"
मैं तुरंत दूसरे Dentist के पास गई। उन्होंने ही बताया कि मेरी file में implant की details ही नहीं है, न ही implant के पहले और ठीक बाद का xray है, जो उन्हें cap लगाने के लिए चाहिए होंगी। अगर मैं ये सब ले आऊँ तो वो क्या कोई भी Doctor आगे का इलाज कर सकता है। 
जब मैं अपने ही शरीर में अपने ही पैसों से लगाए गए इस पुर्जे के details मांगने गईं तो उन्होंने इतना दुर्व्यवहार किया कि मैं दहल ही गई। 
मेरे हाथों से मेरी ही file छीन ली और मुझसे जबरदस्ती एक पेपर पर sign करने को कहने लगीं कि मुझे सारे details मिल चुके हैं। 
मैं उनसे सिर्फ इतना कह रही थी कि जो जो उन्होंने दिया है वो लिखे और मैं sign कर दूंगी। पर वो चिल्लाने लगी। तू तड़ाक पर उतर आयी। police बुलाने की धमकी दी। अपने assistants को मेरी medical history जोर जोर से बताकर मुझे नीचा दिखाने लगी। और अंत में कहा कि इसलिए help नहीं करनी चाहिए।  ख़ासकर इन लोगों की (मतलब जो local नहीं हैं)।
Help? पैसे लेकर वो भी अच्छे खासे पैसे लेकर Services देने को help कहते हैं? फिर तो हर कोई नौकरी या व्यवसाय करके help ही नहीं कर रहा?

बड़ी मुश्किल से उन्होंने मुझे मेरे details की photo खींचने दी। पर मेरे दिए 63000 की रसीद मांगने पर झूठ बोलती रही कि वो दे चुकी हैं और मुझे request लिखनी होगी कि मुझे दोबारा इस रसीद की duplicate copy चाहिए। 
कुछ दिन बाद जब मैंने उनका Instagram देखा तो Reels की भरमार थी। Madam के पास appointment का time नहीं था पर Reels के लिए भरपूर time था। 
मेरे जब appointments cancel हो रहे थे उसी हफ्ते के एक video में एक NRI patient बता रही थी कि कैसे इस doctor ने एक हफ्ते में उनके सारे sittings पूरे कर दिए। 
एक और video में madam doctor चिन तपाक दम दम करती नजर आयी। और एक में लोगों को comment में अपने नाम का intial लिखने पर free dental Check-up की scheme देती नजर आयी। 

शायद इस अनुभव के बाद मेरा doctors पर से भरोसा ही उठ जाता, पर Dr. Rahul जैसे doctors ये भरोसा बनाए रखते हैं। 
उन्होंने पूरा भरोसा दिलाया कि वो मेरा इलाज इतने अच्छे से करेंगे कि मुझे पता ही नहीं चलेगा कि कोई गडबड़ी थी कभी। 
उनके appointments अगर cancel भी हुए तो इस वजह से कि light नहीं थी, न कि इस वजह से कि किसी NRI का इलाज उन्हें मेरे इलाज से ज्यादा important लगा। 
कम patients लेकिन बिल्कुल appointment के लिए दिए time पर इलाज। 
मैंने उनसे भी हमेशा office के बाद के समय के appointments लिए लेकिन उन्होंने कभी इसे बदलने को नहीं कहा। 
मैं इन जैसे doctors की इज्जत करती हूँ।  पर अगर ये कहे कि ये मानवता की सेवा कर रहे हैं तो कैसे मान जाऊँ?
जब हम रोज एक ऐसे Doctor की कहानी लिख रहे होते हैं जिसने अपना सर्वस्व मानवता को समर्पित कर दिया। 
कभी Dr. Shankare Gowda, Dr. Prakash Baba Amte, Dr. Kolhe, Dr. Rani Bang ... list बहुत लंबी है.. इनके बारे में पढ़कर देखिए doctors तब आपको पता चलेगा कि help करना किसे कहते हैं। 
बहरहाल सवाल ये था कि doctors के प्रति दुर्व्यवहार होता है तो सब उनके साथ खड़े होते हैं। यहां तक कि मरीज़ भी। 
पर जब doctor मरीज़ से ऐसे दुर्व्यवहार करता है तब क्या दूसरे doctors उस मरीज़ के साथ खड़े होंगे?

Friday, September 6, 2024

मैं तुम कैसे हो सकती हूँ

मैं तुम कैसे हो सकती हूँ 
जब तुम इतनी अच्छी बातें कर लेते हो 
Charles Bukowski और निर्मल वर्मा को 
एक ही वाक्य में रच देते हो। 

मैं तुम कैसे हो सकती हूँ 

Tuesday, September 3, 2024

महँगाई

हाय हाय महँगाई 
तूने कैसी आग लगाई 

मम्मी पापा कितने प्यारे थे 
जब तू नहीं थी आई 

आते ही तूने तो 
करवा दी उनकी लड़ाई 

मम्मी ने माँगा था हार 
पर बजट में आई बस एक कढ़ाई

पापा के सब शौक मिट गए 
तूने जब स्कूल की भी फीस बढ़ाई 

मैंने एक नयी ड्रेस मांगी थी 
मम्मी ने तुरंत पुरानी वाली की कर दी सिलाई 

अब नहीं आता पिज्जा घर में 
और नहीं आती अब मिठाई 

पापा कहते हैं 
कैसे लाऊँ बेटा 
इतनी कहाँ है मेरी कमाई
जितनी बढ़ गई है महँगाई 

हाय हाय महँगाई 
तूने कैसी आग लगाई 
मम्मी पापा 
टीचर बच्चे 
सबकी को आ गई है रुलाई 
 

Friday, August 16, 2024

मैं सिर्फ अपने लिए लिखती हूँ

मैं सिर्फ अपने लिए लिखती हूँ 
क्योंकि मुझे कोई नहीं सुनता। 
मैं एक मशहूर लेखक बनना चाहती हूँ 
पर मुझे कोई नहीं पढ़ता 
क्योंकि...
मैं सिर्फ अपने लिए लिखती हूँ 
क्योंकि मुझे कोई नहीं सुनता...

गलत

एक उम्र तक हम समझते हैं कि हम हर नाइंसाफी से लड़ लेंगे। कोई ज़ुल्म नहीं सहेंगे। जो नहीं लड़ता उसे कमज़ोर समझते हैं। हमें लगता है उसे न्याय सिर्फ इसलिए नहीं मिला क्योंकि वो लड़ा ही नहीं। 
और हम लड़ने लगते हैं। 
हर नाइंसाफी के खिलाफ आवाज़ उठाते हैं। 
सोचते हैं कुचल देंगे हर गलत हो। 
कह देंगे कि नहीं, मुझे ये 'गलत' अपने जीवन में चाहिए ही नहीं, और वो 'गलत' हमारी ज़िंदगी से निकल जाएगा!

फिर एक दिन अक्ल ठिकाने आ जाती है। 
'गलत' अपने आप को गलत समझता ही नहीं। 
वो ताकतवर होता है, 'गलत' को सही साबित करने वाले उसके साथ खड़े हो जाते हैं। 
वो जोर से चीखता है "जा..... नहीं जाता, क्या कर लेगा?"
आप फिर सोचते हैं कि आप उसे हरा देंगे। आप भिड़ भी जाते हैं उससे। 

...और तभी 'गलत' को सही साबित करने वाले आपके हाथ-पांव, शरीर, दिल, दिमाग सब बाँध देते हैं। और आपके मुँह पर टेप चिपकाकर ठीक 'गलत' के पास बिठा देते हैं। 
आपको घुटन होती है। आप कुछ देर तक इंतजार करते हैं कि गलत के साथियों को उसकी सच्चाई पता चलते ही वो आपको खोल देंगे।

...और वो लौटते हैं
पर एक और रस्सी लिए.. आपको हमेशा हमेशा के लिए 'गलत' के साथ बाँध देने के लिए। 

अब आप में हिलने की भी ताकत नहीं रह जाती। 
और आप इस सच्चाई को स्वीकार कर लेते हैं कि आपको अब ज़िंदगीभर 'गलत' के साथ रहना है!

दूर से उस उम्र का व्यक्ति धुँधला सा दिखाई देने लगता है, जिस उम्र में उसे लगता है कि वो हर नाइंसाफी से लड़ लेगा। कोई ज़ुल्म नहीं सहेगा। जो नहीं लड़ता उसे कमज़ोर समझता है। उसे लगता है कि आपको न्याय सिर्फ इसलिए नहीं मिला क्योंकि आप लड़े ही नहीं। 
और वो 'गलत' से लड़ने लगता है!

Thursday, August 15, 2024

Trending Gussa

Mujhe kisi ka dukh ab mehsus nahi hota
Gussa nahi aata, protest ka mann nahi karta.
40 ki hote hote aisa kai baar hote dekha.
Humara gussa limited time edition hai.
Latest fashion ki tarah.
Aaj kuch trending hai to us par gussa... uske liye nyay ki guhaar.
Trend change.. gussa change!

Ab mujhe sirf ek baat ki fikra hai.. apni.
Main uub chuki hu is job se.
Is achcha karne ke dikhave ke mukhaute se.
Aaspaas sabke paas hai ye mukhauta.
Is mukhaute ko dekhkar koi genuine bachcha hamare dal me shamil ho jata hai.
Jaise kabhi hum huye the.
40 ka hotey hotey uska asli chehra bhi jal chuka hota hai trending ki aag me aur uske paas bhi mukhauta pehanne ke alawa koi chaara nahi hota!
Par yaha se nikalkar karungi kya?
Isliye padi rehti hu... 

Tuesday, July 23, 2024

Kyon?

Kitne log marte hai duniya me
Jo marna nahi chahte the..

Aur kitne log marna chahkar bhi
Zinda hain ab tak...

Nobody reads

Nobody reads my blog.
So I treat it like a personal diary.
If you read me some day...
You'll know me!

Last script

It was the last script of the day. I thought it would take lesser time to edit then to explain what to change. I went on the doc but didn't have access. I requested for the same.
It was 5 minutes to 6:30 when the doctor's assistant called. 
I said I will be a bit late. May be another 15 mins? She said "okay".
I took out my clothes and started changing. Meanwhile Shrutika had given me access. I started editing on the phone.
Another 2 sentences and the phone rang again. It was the doctor's second assistant. I told him I got a call just 5 mins ago. I will be there. He argued. I got irritated.
I finished my editing. Changed. Tried starting my scooter but it took 5 more minutes. Another 10 minutes to reach. And I reached at 6:50 instead of 6:45.
Bammmm.. the doctor was upset. I was standing in her cabin in front of her. She was teaching her kid.
Said her staff called to cancel the second time as I was late. Her staff had called to cancel my appointments 3 times before this week.
I was in the middle of an implant abd totally dependent on her for the next step.
She continued teaching her child. 
I argued that I waited more than 30-40 minutes even after an appointment so mahy times and a 15 min delay makes her cancel the appointment?
She continued teaching her child.
I asked if she will treat me? She said only on her time, not according to mine.
I asked her to refer me to another doctor but she refused. I asked if another doctor can do it? But she refused to answer.
I asked for a refund and she refused.
I left.
Went to another doctor who said she can definitely help but would need my xray and the details of the implant as in the company name.
I called the old doctor but she was in no mood to help. She blatantly denied giving these details. Said it was confidential.
I again argued that isn't it the patient's right to know what has been implanted in their body?
I went to her clinic. She came rushing threatening to get the police. She said she would sue me as 3 of her patients ran away because I was asking for my details.
I was asking for a receipt of Rs 66000 that I paid her for the first stage of implant.
She forced me to sign a document saying that she has given all the details.
I gave up and signed it.
She started telling her staff how much she helped me. That she was the one to diagnose my trigeminal neuralgia. That she replied to my messages even in the night.!!
Wait... what? I thought doctors are'l supposed to diagnose diseases? Doctors are supposed to respond if a patient is in pain. No?
Anyways. I had gratitude for her for treating me so far so I said I am thankful to her and I said I am sorry that this ended up like this.
But she replied with a "you'll repay for this"
I said same to you and left!

Monday, July 22, 2024

Kisi din aisa bhi hoga

Kisi din aisa bhi hoga...
Samandar kinaare ghanto baithungi
Beparwah... besudh ghumungi
Bina deadline ke ek kitaab likhungi
Chap jayegi.. toh khoob bikegi
Award lene Delhi jaungi
New York jaungi
Inaam ke paise kaafi honge jeevan bhar ke liye
Fir bhi jaha thehrungi... waha likhungi..
Koi chehre se nahi janega..
Par naam sabko pata hoga..
Ek din tehalte tehalte kisi ke haath me apni kitaab dekhkar sukoon ki muskan ke saath saas lungi..
Aur isi sukoon bhari muskan ke saath chali jaungi ek din.
Do kitaabein reh jayengi...
Bina deadline ke likhi hui..
Tehalte tehalte besudh ghumte huye likhi hui...
Aaj bhi padh raha hoga koi wo kitaabein..
Google karke dekh raha hai hoga
Kaun hai ye lekhak
Jo bas do kitabein likh gaya
Bina deadline ke...
Khulkar jee gaya...


Friday, July 19, 2024

Alone

I cross the street alone

I get my gifts on my own

I cook my own favourite food

I take care of my own swinging mood

I plan to go on solo trips


Sunday, July 14, 2024

यात्रा

यात्रा वृतांत कितने सुखद होते हैं... पिंजरे से किसी को खुले आसमान में उड़ते देखने जैसा...
जो जीवन आप नहीं जी सकते, वह किसी और को जीता हुआ देखने जैसा...

Sunday, July 7, 2024

बहुत दूर

मैंने कभी शराब नहीं पी। मतलब.. पी जाने जैसी नहीं पी। दोस्तों से थोड़ी बहुत चखी है बस। पर देखा है फ़िल्मों में.. बहुत तलब लगने पर एक घूंट पीने के बाद कैसे गट-गट पी जाते हैं लोग पूरी बोतल!
ठीक वैसी ही लगती हैं कुछ-कुछ किताबें.... लगता है एक घूंट में पूरी पढ़ लें। 
तुम्हारी ज़्यादातर किताबें ऐसी ही हैं। 
पता नहीं क्यों 'बहुत दूर कितना दूर होता है' टालती रही थी अब तक ..

मुझे इस तरह की किताबें ही पसंद है। Immature पर अपने वाक्यों में गहरी बात कह देने वाली। 
नॉन फिक्शन बड़े लोगों के recommendation पर पढ़ने लगी हूँ। ऐसे एक घूंट में नहीं पढ़ पाती वो किताबें। उनके लिए ठहर कर इत्मीनान से कुछ लिख भी नहीं पाती। 
बस पढ़ते हुए उनके उद्धरण सही लगते हैं। तुम्हारे उद्धरणों की तरह दिल को नहीं छूते। 
और फिर भूल जाती हूँ उन्हें। मैं बदलती नहीं। वही रहती हूँ। 
अटॉमिक हैबिट पढ़ने के बाद भी मेरी आदतें ज्यों की त्यों रहती हैं। 
Psychology of money पढ़ने के बाद थोड़ा बदलाव आया। बस अब किसी की liabilities देखकर उसके assets का अंदाजा नहीं लगाती। अपने assets पर ध्यान देती हूं। पर उससे ज़्यादा कुछ नहीं। पर यही बहुत बड़ी बात नहीं है?
अब लग रहा है बदला है इस किताब ने मुझे। शायद बड़े लोग सही कहते होंगे। 
Rich Dad Poor Dad से भी कुछ इसी तरह का असर है और कुछ ख़ास नहीं ।
पर ये एक घूंट में पढ़ने वाली किताबें... ये साथ रहती हैं मानों। इनके किरदार को महसूस किया जा सकता है। 
और किसी और को महसूस कर पाना कितना मुश्किल है न?

Tuesday, June 25, 2024

बड़ी भाभी

बड़ी भाभी की बीमारी का खुलासा तब हुआ, जब अंजू की शादी में वह जीजाजी पर चीख़ पड़ी थीं। 
सबको पता था कि वह बीमार है। इलाज भी चल रहा था। फिर भी बड़े भैया और दीदी में बातचीत बंद हो गई। जीजाजी के मान को जो ठेस पहुंची थी। ऐसे कैसे जाने देते। 

वो एक दिन की बात नहीं थी। सब जानते थे। 

बड़े भैया तब पढ़ना चाहते थे। इसलिए बड़ी मम्मी बीमार हुई तो छोटे भैया की शादी करा दी गई। कभी ये बिज़नेस कभी वो, छोटे भैया के काम का कोई ठिकाना नहीं था। बच्चे हुए, तो बड़े भैया के ऊपर मढ दिए गए। 

बड़ी भाभी ने आते ही दोनों बच्चों की जिम्मेदारी संभाल ली। 
एक कमरे का मकान था शहर में। उसी में ये नवविवाहित जोड़ा दो बच्चों के साथ सोता था। 

बच्चों को खिलाना, पिलाना, स्कूल छोड़ना-लाना, बीमारी में रात रातभर जागना, सब किया बड़ी भाभी ने। 
लोग उनकी मिसाल देने लगे थे।

फिर अपने बच्चे हुए... फिर भी सिलसिला जारी रहा। छोटे भैया के बच्चे जब तक कॉलेज तक नहीं पढ़ लिए वहीं रहे। 
अब अंजू की शादी में भी बड़े भैया कोई कमी नहीं रखना चाहते थे। AC, फ्रिज, गाड़ी सब देना था उनको।
 
इतने सालों से त्याग की मूर्ति बनी रही बड़ी भाभी को, पता नहीं उस दिन क्या हो गया था। मूर्ति ही बनी रहती तो हार चढ़ाते न लोग उनपर? अचानक इंसान बन गईं! सारा गुबार निकाल दिया मन का। 

कुछेक महीने तक बड़े भैया और दीदी में बातचीत बंद रही।

फिर एक दिन भाभी ने खुद को फांसी लगा ली। 

सब लोग आए। दीदी भी पहुंच गईं। जीजाजी भी। 
सारे मनमुटाव ख़त्म हो गए। आख़िर खून का रिश्ता था, अपने ही भाई से कैसा मनमुटाव। जिसका दोष था वो तो चली गयी। अब कैसा बैर!

बातचीत शुरू हो गई। आना-जाना चलने लगा। शायद जीजाजी का मान वापस मिल गया था, भाभी के चले जाने से। 
बड़े भैया की दूसरी शादी के लिए दीदी ने बहुत साथ दिया। देखने-दिखाने का काम उनके घर पर ही हुआ करता था। खूब रौनक लग गई थी उन दिनों। दोनों भाई-बहन घंटों बातचीत करते और हर रिश्ते को बारीकी से परखते। दीदी का कहना था कि इस बार वह खुद परखकर रिश्ता करवाएंगी अपने भाई का। कोई गलती नहीं होने देंगी। 

नई भाभी के साथ उनकी खूब बनती है। सुना है भैया भी अब ख़ास ख्याल रखते हैं कि किसी और के तो क्या, उनके खुद के बच्चों के कारण भी नई भाभी को कोई परेशानी न हो!

Sunday, June 23, 2024

बहुत कुछ!

मैं छुट्टी पर चली गयी। 
मुझे लगा मैंने इंतजाम तो कर ही दिया है। 
अपनी दोस्त को कह तो दिया है कि तुम्हारा ख्याल रखे। 
अब कैसे और कितना ख्याल रखे ये भी specify करती तो थोड़ा ज़्यादा हो जाता न?
एक तो बेचारी ख्याल रखने को राजी हो गई थी। यही बड़ा एहसान था। 
उसने ख्याल तो रखा ही पर अपने हिसाब से। 
जब तुम्हें पानी की जरूरत थी तब नहीं दिया।  जब नहीं थी तो खूब दिया। 
मैं वापस आयी तो तुम सूख चुके थे। मैंने पानी दिया, खाद डाला, सब किया। 
मुझे लगा मैंने तुम्हारे लिए बहुत कुछ किया!
पर तुम...
किसी के लिए कुछ करने का एक वक़्त होता है। बाद में बहुत कुछ करके हम कुछ बदल नहीं सकते!

Monday, May 6, 2024

मुक्ति

... और जो करोड़ों, अरबों, खरबों लोग मर चुके हैं,
वो कहाँ हैं?
कहीं ऐसा तो नहीं कि 
एक कोठरी में बंद, 
वापस यहीं आने को छटपटा रहे हैं?

काश पार्थ बता पाता कि वह कहां है?

क्या मृत्यु ही मुक्ति है?
या मुक्ति जैसा कुछ भी नहीं?

Job

Left job
Thought 12 hazar kya hote hai
Mera pati 50 hazar kamata hai..
Jo chahiye hoga wo dila dega..
Unki Maa admit thi..
Subah 7 baje chai
9 baje nashta
11 baje hospital
1 baje lunch
5 baje sham ki chai
8 baje dinner..
Kaun karta?
Toh job chod di...

Fir ek din 3 doormat mange
Unhone kaha is mahine nahi ho payega
Ghar jana hai Diwali pe
Main nahi samajhti toh kaun samajhta..

Hum ghar gaye
Unhone 25-25 hazar ke
3 phone khareede..
Apni Maa, Didi aur Papa ke liye
Diwali gift!

Ab kabhi job chutne ka khayal bhi asta hai na... toh dehal jati hu.

Ab jab jee chahe apne ghar ke liye doormat khareed sakti hu!

Saturday, April 27, 2024

Baby Reindeer

आप किसी को कितना जानते हैं?

चाहे आपका सबसे अच्छा दोस्त हो, भाई/बहन, माता-पिता या बच्चे!
आप किसी को भी पूरी तरह नहीं जानते!

अपने बच्चों के अतीत को जानते होंगे पर वर्तमान को जानते हैं? कई बार आप अतीत को भी पूरी तरह नहीं जानते या जानकर अंजान बने रहना चुनते हैं!

अपने पति/पत्नी के वर्तमान को जानते हैं पर अतीत से पूरी तरह वाकिफ़ हैं? 

माता-पिता के बचपन या युवावस्था के दिनों की कितनी बातें पता है आपको?

और दोस्त? 
कई बार हम अपने सबसे अच्छे दोस्त के भी सबसे दर्दनाक राज़ नहीं जान पाते। 
कभी कोई पुराना ज़ख्म सामने नज़र आ जाए और भावुक होकर गलती से कह दे तो अलग बात है। 

पर क्योंकि समाज ने ऐसी बातचीत को कभी स्वाभाविक समझा ही नहीं, इसलिए आपको उस पल समझ ही नहीं आता कि उस जानकारी का आप क्या करेंगे। 

ऑफिस में एक सहकर्मी हमेशा की तरह काम क्यों नहीं कर पा रहा?

एक पुराने दोस्त ने अचानक कॉल करना क्यों बंद कर दिया?

माँ की सोच किसी-किसी मामले में इतनी अजीब क्यों है?

बाबा खुलकर किसीसे कुछ क्यों नहीं कहते? बस झुंझला क्यों उठते हैं?

या बच्चा आजकल खुले आसमान से ज्यादा बंद कमरा क्यों पसंद करने लगा है?

हम नहीं पूछते!
कोई बताता भी नहीं!
ये असहज बातें, समाज के बनाए दायरे के चादर तले ढंके रह जाते हैं। 
और जीवन चलता रहता है...

Netflix पर #BabyReindeer देखें!

#Martha को समझते समझते #Donny अपने आप को समझने लगते हैं। अपने माता-पिता को जान पाते हैं। अपनी शर्म को, अपने अतीत को, अपने आप को अपना पाते हैं। 

क्या किसी को भी अपनाने से पहले, खुद को अपना लेना ज्यादा जरूरी नहीं है?

Tuesday, April 23, 2024

Trigeminal Neuralgia

Trigeminal neuralgia 

इस शब्द के बारे में मुझे अभी बस कुछ एक-दो साल पहले ही पता चला। 
इसका type1 अचानक किसी भी ट्रिगर के कारण इतना असहनीय दर्द देता है कि आपको सुसाइड करने का मन करता है इसलिए इसे सुसाइड डिजीज भी कहा जाता है। 
Thankfully मुझे type2 है जिसमें चेहरे के निचली ओर कहीं भी लगातार दर्द होता रहता है। 
करीब 10-15 सालों से मुझे यह दर्द एक मसूड़े में है। इसलिए अब तक मेरे उस दांत का ही इलाज चलता रहा। 
जब दांत तक उखाड़ दिया गया और फिर भी दर्द नहीं गया तब जाकर डेंटिस्टों ने अपने हिस्से की जायदाद न्यूरोलॉजिस्टों के नाम की। 
तो आजकल उन्हीं को अपनी जमा-पूंजी बांट रही हूँ। 
अगर आप भी ऐसे किसी प्राचीन हो चुके दर्द से जूझ रहे हैं और अपनी सम्पत्ति दान कर दर्द से मुक्ति चाहते हैं तो 'पेन स्पेशलिस्ट' नाम के विशेष डाक्टरी जनजाति से संपर्क कर सकते हैं। 
खैर ये सब तो मैंने awareness की ख़ातिर बता दिया। मुद्दा यहां दरअसल फलसफे से शुरू हुआ था। 
कुछ रोज़ पहले मेरा दर्द अपनी चरम पर था। लगा इसका आखिरी इलाज यानी - दर्द देने वाले उस नस को इंजेक्शन से सुन्न कर देना- यह कर ही लेती हूँ। 
पर पेन स्पेशलिस्ट ने सलाह दी कि दवाईयों का डोज बदलकर देख लूँ। 
कुछ समय तक तो दवाईयों ने असर नहीं दिखाया पर फिर थोड़ा आराम मिलने लगा। 
यूँ तो मेरा दर्द इतने से ही शुरू हुआ था और तब मैं बिना दर्द के रहने के उपाय खोज रही थी। 
लेकिन चूंकि दर्द इतना ज्यादा बढ़ गया था कि बर्दाश्त के बाहर था तो अब इस कम हुए दर्द के साथ ही खुश हूँ। 
जिंदगी में शायद ऐसा ही होता है। बचपन में हम छोटे मोटे दर्द की शिकायतें कर रहे होते हैं। लेकिन बड़े होते होते इतना कुछ सह चुके होते हैं कि बचपन जितने दर्द की दुआ मांगने लगते हैं। 

Sunday, April 21, 2024

नीलगिरी

मेरे घर के आंगन में एक eucalyptus यानी नीलगिरी का पेड़ हुआ करता था। गेट से घुसते ही दायीं तरफ़। कई बार पता पूछने पर हम इसी को अपने घर की पहचान बताते। 
मुझे उसका साफ़, सफेद तना बहुत अच्छा लगता था। भीष्म पितामह जैसी vibes थी कुछ उसमें। 

कभी-कभी उसकी बड़ी-बड़ी डालियां सूखकर गिर जाती थीं। कभी किसी को भी चोट तो नहीं लगी, पर ये ख़तरा हमेशा बना रहता था। 
पर मुझे तो इसकी डालियों का गिरना भी बहुत अच्छा लगता था। क्योंकि उनके साथ कुछ नए पत्ते भी गिरते थे, कच्चे हरे रंग के, बिल्कुल नवजात शिशु की तरह स्वच्छ और उन्हीं की तरह पाक खुशबू.... 

पता नहीं कितने सालों से था वह वहां। लगता था हमेशा से यही खड़ा है द्वारपाल की तरह। कहा न भीष्म पितामह की तरह!

पर फिर एक दिन बिट्टू अपनी मम्मी के साथ आया। पेड़ के बगल में कुल्हाड़ी पड़ी थी। उसने पेड़ के साफ़, सफेद तने पर वार करना शुरू कर दिया। 

बिट्टू के पापा बड़े ओहदे पर थे। माँ कुछ नहीं कह पाई। बिट्टू की मम्मी बीच-बीच में जैसे formality की खातिर कह देतीं- "बिट्टू नहीं करते बेटा!"

उस दिन के बाद से पेड़ सूखता चला गया। उसका साफ, सफेद तना अब कुल्हाड़ी के कई वार से छिला हुआ था। जैसे अर्जुन ने कई तीर मार दिए हों। 

डालियां एक-एक कर गिरने लगीं। सेफ्टी के लिए तने से पेड़ को काटना पड़ा।
और फिर.. उसने समाधि ले ली। 

उस दिन माँ कुछ कह देती तो?
मैं किसी तरह बिट्टू के हाथ से कुल्हाड़ी छीन लेती तो?
कहते हैं नीलगिरी का पेड़ 200 साल तक जी सकता है!