Tuesday, May 9, 2017

घरेलू सहायक 2 - आरवी

आज फिर लगा कि बर्तन तो कर लुंगी पर झाड़ू पोछा करने लगी तो देर हो जाएगी। सो बाज़ार से सामान लाते लाते मैने सिक्योरिटी केबिन में एक बार फिर किसीको काम के लिए भेजने की दरख्वास्त लिखवा दी।
अभी मैं बर्तन कर ही रही थी कि घंटी बजी..
नई सहायक हाज़िर थी। उसने सलीके से झाड़ू पोछा किया और करते करते मेरी परमनेंट सहायक की बुराई भी की, कि आपने जिसे भी रखा है वो ठीक से काम नही करती..कितना कचरा निकला बापरे...
मैने मुस्कुराकर टाल दिया और उसका नाम पूछा।
जवाब आया - आरवी!
आम तौर पर जो भी काम करने आती है उनका नाम कुछ सीधा साधा सा होता है, जैसे रेणु, लक्ष्मी, अनिता, संगीता....पर आरवी ...लगता था जैसे उसके माँ बाप ने बहुत सोचकर...ढूंढकर...बड़े प्यार से ये नाम रखा होगा।
क्या नाम रखते वक़्त उन्होंने सोचा था कि ये नाम इस तरह इस्तेमाल होगा..." आरवी बालकनी में भी पोछा लगा देना", कहते हुए मैंने सोचा....

घरेलू सहायक 1 - प्रवेश

आजकल मेरी घरेलू-सहायक छुट्टी पर है। किसी-किसी दिन मैं खुद ही घर का काम कर लेती हूँ और किसी-किसी दिन ऑफिस के काम में पीछे न रह जाऊं, इस डर से किसी और सहायक को बुला लेती हूँ। ऐसा करने के लिए सोसाइटी के सिक्योरिटी केबिन में बस एक फ़ोन घूमाना होता है और जिसे ज़रूरत होती है, वह काम करने के लिए आ जाती है। 
पहले दिन प्रवेश आयी थी। प्रवेश मध्य प्रदेश के किसी गाँव से है। बोल-बानी से यहां की नहीं लग रही थी, सो मैंंने पूछ लिया। उसने जिला भी बताया था पर मुझे याद नहीं। प्रवेश का पति यहां किसी के फार्म हाउस पर गार्ड का काम करता है। सो, इस साल गाँव से उसे और उसके दोनों बच्चों को भी ले आया।  

मैंने गाँव के मुकाबले शहर की बुराई सुनने के इरादे से प्रवेश से पूछा.. "यहां कैसा लग रहा है? गाँव याद नहीं आता?"
प्रवेश - "अरे नहीं दीदी...यहां तो बहुत बढ़िया है। गाँव में तो परेशान थे। सास सताती थी...दिन भर काम कराती थी। उसके बाकी दो बेटे खेत में काम करते हैैं, तो रोटी का ताना देती थी। यहां कोई किटकिट नहीं है।"

मैं - अच्छा! तो तुम्हारे पति किसानी नहीं करते?

प्रवेश - नहीं दीदी... 2 बीघा तो जमीन है..तीन भाई...क्या मिलता होगा बताईये? यहां हम दोनों जने मिलके उतना ही कमा लेते हैं...ऊपर से कोई झिकझिक नहीं..
मैं - ह्म्म्म...बच्चों को कहां छोड़ कर आती हो?

प्रवेश - मेरे हसबैंड ले जाते हैं। अब यहां लाऊं तो अपने साथ कहाँ-कहाँ ले जाऊंगी। और नीचे छोडूंगी तो देखेगा कौन। वहां मजे से खेलते हैं।

प्रवेश का काम खत्म हुआ...जाते हुए मैंने पैसे दिए तो उसने पूछा..."दीदी कोई टच स्क्रीन वाला फ़ोन पड़ा है आपके पास...कोई पुराना जो काम न आता हो...मेरे हसबैंड को चाहिए था। उनके पास था पर खराब हो गया।"
बाहर शहर की घुटन भरी हवा में एक कबूतर फिर नीचे आ गिरा था...

- मानबी