Wednesday, April 21, 2021

लोग मर रहे हैं!

21 April 2021

लोग मर रहे हैं,
किसी के पिता,
किसी का पुत्र,
किसी की सखी,
किसी का मित्र!
लोग मर रहे हैं।

पर शोक मनाने का समय नहीं है,
मौन रहने का समय नहीं है।

खबर लिखनी है,
खबर छापनी है।

मात्रा, वर्तनी, भाव में कहीं
गलती न हो जाए।
तो क्या, कि लोग मर रहे हैं।
किसी के पिता,
किसी का पुत्र,
किसी की सखी,
किसी का मित्र!

वो छुट्टी पर जा रहा है,
जिसके लोग मर रहे हैं।
उसे पांच दिन के शोक की है छूट,
जिसके लोग मर रहे हैं।
मुझे उसका भी काम करना है,
जिसके लोग मर रहे हैं।
किसी के पिता,
किसी का पुत्र,
किसी की सखी,
किसी का मित्र,
लोग मर रहे हैं।

Saturday, April 17, 2021

रात

मुझे रात अच्छी लगती है।
क्योंकि रात को तुम सिर्फ मेरे प्रेमी होते हो।
सुबह होते ही, तुम किसी के बेटे, किसी के भाई,
किसी के मामा, किसी के मुलाजिम, किसी के कर्जदार,
और मेरे...
मेरे गुनहगार बन जाते हो!

Thursday, April 15, 2021

बंधन

अस्पताल में beds नहीं हैं। लोग पहले से दोगुनी तेज़ी से मर रहे हैं। पहले वेव में बच्चे सुरक्षित थे। अब बच्चों को भी नहीं बक्शा जा रहा। मानो कोई धाक लगाकर बैठा हो। पहले वार में जब लोगों ने हिम्मत नहीं हारी, तो एक नई stretagy बनाई गई। बच्चे! इंसान के लिए अपने बच्चे से बढ़कर कुछ नहीं। तो बच्चों पर हमला करते हैं। इस बार लगता है इंसान टूट ही जायेगा। एक बार फिर नीचे जाना मना है। पार्क खाली है। वही खौफनाक शांति!
इस एक साल में घर में कैद रहकर हर किसी ने openly कहा कि बस! अब नहीं होता। कुछ तो, 'जो होगा देखी जाएगी' कहकर निकल भी पड़े। घूम फिरकर आ भी गए और जो घर में डरकर बैठे थे, वे और कमज़ोर हो गए। शरीर से नहीं, मन से!
यहीं से लगा कि बंधकर रहना किसे अच्छा लगता है। पर बंधन से निकलने के लिए risk तो लेना पड़ता है बॉस! क्योंकि रिस्क है तो... जी हां .. सही समझे आप बॉस... Risk लेंगे तभी तो जिंदगी से इस्क कर पाएंगे।
तो अगर थक गए हैं बॉस की चाटू नौकरी करते करते तो उसे टाटा bye bye कहने का रिस्क लेकर तो देखिए। बोर हो गए हैं रोज़ वही खाना खाकर तो घर पर समोसे बनाकर तो देखिए। और पक गए हैं सास की फरमाइश पूरी करते करते तो एक बार ना कहकर तो देखिए। हटा दीजिए भविष्य के झोल मोल सपने दिखाने वाली अंगूठियों को। सोम मंगल बुध शुक्र जिस दिन मन करे, खा लीजिए नॉनवेज। जो आपके मन का खाने या जीने से नाराज हो जाए, वो न तो बड़ा हो सकता है न भगवान। सो एक बार अपने इस भगवान को अकेला छोड़कर तो देखिए।

Wednesday, April 14, 2021

Iti Jibon!

Ekti pagol bon,
Oshukhe otishtho Maa,
Bhaanga ghor,
Niraamish ranna,
Faanka aakaash,
Cheda sweater,
Mathaye kapod,
Eka, here jawa Mon,
Iti jibon!

Sunday, April 11, 2021

सुकून

12 अप्रैल 2021
इस सुकून में जीता है मेरा कातिल,
कि उम्र भर किसी का दिल तक नहीं दुखाया उसने!

जाते जाते

महामारी से मरना चाहते हो?
यह छूने से फैलने वाली बीमारी है,
जाते जाते कोई साथ न होगा!
जीवन ने उसे आगाह किया।

जीते जीते कौन था?
उसने जीवन से पूछा।

शोक

मृत्यु के 13 दिन बाद शोक खोलने की रस्म होती है। बहुएं चूड़ियां पहन सकती हैं। बिंदी लगा सकती हैं। गहरे रंग पहन सकते हैं। खाने में प्याज लसन लगा सकते हैं। कपड़े धुल सकते हैं। शोक खुलने तक ये सब वर्जित है। शोक खुल जाने पर नहीं। 
क्या 13 दिन में शोक खुल जाता है? या क्या 13 दिन तक शोक रहता है? कौन तय करता है शोक की समय सीमा? नियम? या मन?

घुटन

वह स्थिति, जब मन गले तक भरा हो पर आंखें रुदन से इनकार कर दें, क्योंकि मस्तिष्क ये मान चला है कि आप कठोर हैं।

Thursday, April 1, 2021

My Home

I wanted to go home
And realised...
There was no home..

No one made a home,
I could call mine.

And I would never be able to make one for me.

All I had was a rented house,
From where I could be kicked out any day..any time. 

I wish I could make a house for my daughter.