Thursday, October 28, 2021

Men's Day

फैमिली बिजनेस चलाने का प्रेशर
मां बाउजी के सपनों का बोझ
बहन की रक्षा का ज़िम्मा
बीवी की ख्वाहिशों का भार
बच्चों की परवरिश का खर्चा
रिश्तेदारियां निभाने का दबाव
खाना पकाओ तो नामर्द
न पकाओ तो कमज़र्फ।
कमाके घर आओ तो क्या तीर मारा?
न कमाओ तो नाकारा!
मां का लाडला,
बीवी का गुलाम,
बॉस का चमचा,
ऐसे कई नाम...
मूछें ताने तो मेल शोवनिस्ट
शेव कर ले तो चिकना माल
मर्द होना है इस देश में शान
पर जितना लगता, उतना नहीं आसान
नारी के सम्मान के लिए लड़ने को तैयार
क्या उसे नहीं मिलना चाहिए समानाधिकार?
कमाता है तो कमाने दो,
नहीं तो खाना पकाने दो।
मां की सुनना चाहे या पत्नी की
उसको अपनी लाइफ जीने दो।
हंसना चाहे हंसने दो,
रोने वाली बात पर भी तो रोने दो।
बहनों अपनी रक्षा करना सीखों
भाई को टेंशन फ्री रहने दो।
बीवी की शॉपिंग,
बच्चों की पढ़ाई,
क्यों हो ये उस अकेले की लड़ाई?
क्यों न ऐसा समाज गढ़े, जहां नारी पुरुष समान हो,
जितनी शिद्दत से मनती है विमेंस डे,
मेंस डे का भी उतना ही मान हो!

Friday, October 22, 2021

#NoBindiNoBusiness

दिखावे पहनावे को लेकर जंग कैसी,
तहज़ीब तरकीब का भी क्या कोई मज़हब है?
मैं साड़ी पहनूं या स्कर्ट
धोती पहनूं या शेरवानी
टाई लगाऊं या सर पर रख दूं गांधी टोपी
भीतर से जो हूं, क्या वो बदल जाएगा?
बिंदी लगाने से क्या मेरा धर्म बच जाएगा?