उसे कुबूल कर लिया
मैंने अपनी इमारतों को
यूँ धूल कर लिया
ख़्वाहिश उसे पूरा का पूरा
पाने की थी
मैंने उसकी यादों को अपना रसूल कर लिया
मर गया मैं
तब जनाजे पर आए वो लोग
जिनकी बातों ने मेरे कत्ल के लिए
खुद को शूल कर लिया
अब हिरासत में हूँ तो सोचता रहता हूँ दिन रात
जाने क्यों पकड़े जाने जितना मैंने भूल कर लिया
आदत है उसको मुझे मनाने की
ये मैं ही था जो रूठा रहा
और खुद को दूर कर लिया
एक चेहरे में कई किरदार छिपे हैं यहां ऐ दोस्त
तू
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