Tuesday, April 25, 2023

घर जहाँ तुम, तुम हो सकती हो!

घर!
जहां आकर ब्रा उतार फेंक सकती हो तुम!

घर!
जहां पाजामे में दिनभर टहल सकती हो तुम!

घर!
जहां रात की खामोशी का डर नहीं!

घर!
जहां 'लोग क्या कहेंगे' की फिक्र नहीं!

घर!
जहां की फर्श हाई हील नहीं मांगती!

घर!
जहां का आईना 
मेकअप के बगैर भी हसीन है!

घर!
जहां तुम हो सकती हो 
तुम!

काश पूरी दुनिया 'घर' होती 
तुम कहीं भी जाओ
तुम होती!

Friday, April 21, 2023

Corporate Kahani - एक गंदी मछली!

एक छोटा सा तालाब था। इंसानी रिहायशी से कोसों दूर। साफ़, निश्छल, सुंदर... हर गंदगी से परे... बिल्कुल ख़ाली!
इस तालाब को एक मछली ने खोज निकाला था। उसे यहाँ इतना अच्छा लगा कि वह अपनी तरह की और मुट्ठीभर मछलियाँ यहाँ ले आयी। उसने कभी बाकी मछलियों के साथ रानी वाला व्यावहार तो नहीं किया था पर क्योंकि उसने ही सभी मछलियों को यह राह दिखाई थी, इसलिए सब उसे रानी मछली बुलाने लगे। 
ये सभी मछलियाँ एक दूसरे के साथ मिलजुलकर, बड़े प्यार से रहतीं! उन सबका एक ही मकसद था- इस तालाब जितना हो सके साफ़ रखना!
बरसों बीत गए। रानी मछली की छत्र-छाया में सभी मछलियाँ खुश थीं। तालाब भी उतना ही साफ़ था जितना सालों पहले इन मछलियों के आने से पहले था! ब्लकि शायद उससे भी ज्यादा साफ़ क्योंकि ये मछलियाँ ठहरे पानी से पैदा होने वाली गंदगी भी साफ़ करती रहती थीं!

पर फिर एक दिन अचानक रानी मछली, एक नयी मछली को तालाब में ले आयी। ये रानी मछली की पुरानी सहेली थी, जो समुंदर में उसके साथ घूमा करती थी। इस नयी मछली का कहना था कि समुंदर में सालों से रहते हुए उसने कई ऐसे पैंतरे सीखे हैं जो रानी मछली और उसकी प्रजा के काम आ सकते हैं और तालाब को और बेहतर बना सकते हैं।
कुछ मछलियों ने