Saturday, March 14, 2015

किसान से मन की बात


२२ मार्च २०१५ को हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदीजी किसानो से मन  की बात करने वाले है। 
पर प्रधानमंत्री जी क्या है न की किसान का तो मन  ही नहीं होता। 
किसान का तो सिर्फ पेट होता है.…एक भूका अधनंगा सा पेट। 
और अगर मन होता भी है तो उसे बातें सुनाई नहीं देती। 
क्यूंकि उसका  पेट हर वक़्त शोर मचाये रहता है। 
प्रधानमंत्री जी, आप उपवास रख कर जब अमरीका का दौरा करते है,
तो हर कोई आपसे प्रभावित हो उठता है,
मिडिया आपकी भूख का फुल कवरेज करता है। 
किसान भूखा ही अनाज उगाता है…
उसे भूखा ही मंडी में बेचने चला जाता है…… 
फिर भूखे पेट साहुकार का कर्ज़ा चुकाता है……
और एक दिन भूखा ही मर जाता है…… 
पर उसके इस उपवास से कोई प्रभावित नहीं होता।
न  सरकार प्रभावित होती है  ,  न अर्थ व्यवस्था,
न मीडिया प्रभावित होती है, न ही किसीकी सत्ता। 
भूखे मरते इस किसान का और उपहास न करे ,
हो सके तो प्रधानमंत्री जी आप उनसे मन की बात न करके पेट की बात करे। 
हो सके तो काट काट कर आधे हुए उनके पेट को और न कटने दे.... 
हो सके तो बस दो वक़्त का खाना देकर किसान को अब और न मरने दे। 



Wednesday, March 11, 2015

फिर से मेरा देश महान होगा..फिर से मेरा देश महान होगा!!!!


एक दिन चाय की चुस्कियो के साथ पड़ोस के शर्मा जी एक किस्सा सुना रहे थे
सड़क पर पड़ी किसी बदनसीब लड़की की व्यथा बता रहे थे
 हमने पूछा क्या आपने उसे अस्पताल पहुँचाया था?
शर्मा जी भड़के... बोले.."आप होती तो मदत करती? पुलिसवालो के मामले मे बिना वजह पड़ती?"
हमने वही चुप्पी साधी..... ..
चाय तो ख़त्म हुई पर बात रह गयी आधी.

खैर रात होते होते हमने भी सब भुला दिया।
ऐसे  वारदात  तो यहा रोज़ रोज़ होते है... 
वैसे भी सुबह उठते ही सभी को बड़े काम होते है.
कुछ दिन यूही बीते,…  और शर्मा जी ने यूही कई किस्से सुनाए चाय पीते पीते..
अचानक एक दिन दिल्ली गैंग रेप का किस्सा सुनने मे आया
और टीवी खोलते ही हमे शर्मा जी का चेहरा नज़र आया.

शर्मा जी ज़ोर ज़ोर से नारे लगा रहे थेनिर्भाया को कैसे इंसाफ़ दिलाए ये बता रहे थे
देखकर गर्व सा हुआ की जिसे शर्मा जी ने ना देखा ना सुनाबस एक पहचान जानानिर्भया
उसके लिए उन्होने ऐसा कठोर कदम उठाया!!
पर फिर प्रश्न के बादल घूमड़ कर आए की सड़क पर पड़ी उस लड़की ,जिसको शर्मा जी ने देखा था,
जिसकी कराह  सुनकर भी उनका दिल नही दुखा थाउसका क्या हुआ होगा??
वो भी तो कोईनिर्भयाया 'दामिनी' होगी,
हमारी ना हो, आपकी ना हो पर अपने अपनो की तो वो भीअमानतरही होगी
फिर शर्मा जी  क्यूँ क़ानून को दोषी ठहरा रहे है,क्यू अब हादसे के बाद  आँसू बहा रहे है?
दामिनी को भी  कई शर्मा जीयो ने देखा होगा
उनमे से कईयों ने अगले ही पल उस मंज़र को ज़हन से निकाल फेका होगा!!

हम दूसरो पर उंगली उठाते है...... 
पर जब सामने कोई हमारी बहनो को छेड़ता है तो उन उंगलियो को जोड़, एक मुठ्ठी क्यू नही बनाते है??
ये प्रश्न आज है, शायद कल ना होगा
यूही हम अन्याय के खिलाफ लड़ते रहे दोस्तो तो..
फिर से मेरा देश महान होगा..फिर से मेरा देश महान होगा!!!!

माँ तू मुझे कोख में ही मार दे !!!


क्यों लडती है मेरे लिए तू ...अपनी हिम्मत शुरू में ही हार दे ,
माँ तू मुझे कोख में ही मार दे !!!

इस दुनिया में आकर भी क्या करुँगी ,
ऐसे नहीं तो वैसे ,एक न एक दिन तो मैं मरूंगी ,
फिर क्यों तू अपनी खुशिया मुझ पे वार दे ?
माँ तू मुझे कोख में ही मार दे !!!!

शादी की बात निकलेगी ,
तो माँ समान सास 'car' दहेज़ में लेगी ,
पिता समान ससुर सौ शर्ते रखेगा ,
परमेश्वर जैसा पति जलाने की धमकी देगा ,
अपना पेट काटकर क्यों ऐसे भेडियो को तू car दे ?
माँ तू मुझे कोख में ही मार दे !

घर से निकलूंगी तो बेवजह लड़के छेड़ जायेंगे ,
विरोध प्रकट करने पर इज्ज़त ही लूट ले जायेंगे ,
इस से पहले कोई मेरी इज्ज़त तार -तार दे ,
माँ तू मुझे कोख में ही मार दे !

दुनिया में न आ पाऊँगी ,तो बेटी न बन पाऊँगी ,
बड़ी न होने दोगे तो पत्नी या माँ भी न कहलौंगी ,
फिर वंश चलाने वाले तू विधाता से कहकर देखना 'एक जननी उधार दे ',
माँ तू मुझे कोख में ही मार दे !

देवी दुर्गा ,माता लक्ष्मी , माँ सरस्वती ,धरती माँ का रूप हु ,
क़र्ज़ है तुमपर मेरा ,फिर भी ज़ुल्म सहकर मैं चुप हु ,
मेरी रक्षा न कर सके ...इन देवियों का तो क़र्ज़ उतार दे ,
माँ तू मुझे कोख में ही मार दे !