फिर याद आता है कि
काम से तो संतुष्ट हैं ही नहीं
फिर हम काम के पीछे भागने लगते हैं
और नाम खो देते हैं
लोग पूछते हैं क्या काम करते हो?
और जिस काम में नाम नहीं है
हम उस काम का नाम नहीं समझा पाते
हम फिर कुंठित हो जाते हैं
और एक बार फिर
हम नाम के पीछे भागते रहते हैं
फिर याद आता है कि
काम से तो संतुष्ट हैं ही नहीं.....
To be contd...
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