Saturday, July 7, 2018

लेखक

तुम? कलाकार हो? लेखक?
वाह! लिखो....
आजकल पहले जैसा नही रहा...
अब तो कलाकारो की भी कद्र है दुनिया मे
लिखने के दाम मिलते है
तुम्हे मंटो की तरह कंगाल, भूखा और लाचार नही मरना होगा...
पर हाँ...उसकी तरह बस 'लेखक' न बने रहना
लिखना...पर तेज़ लिखना...एक दिन में कम से कम चार-पांच कहानियां
कहानियां जिन्हें तुम महसूस भी न कर सको
कहानियां जिन्हें तुम लिखना न चाहो...तब भी लिखो...
लिखना...पर ट्रेंडिंग टॉपिक पर लिखना...
फिर चाहे उस कहानी के सिर पैर से तुम्हारा कोई सरोकार न हो...
लिखना.... ब्रेकिंग न्यूज़ आते ही अपनी कहानी के किरदारों को वही मार कर ब्रेकिंग न्यूज़ के बारे में लिखना...
पर इस खुशफहमी में न रहना कि वो किरदार फिर कभी ...कभी भी तुम्हारे लिए जान देने के लिए दुबारा ज़िंदा होंगे...
तरक्की होगी तो लिखना छोड़ देना... रीच, नम्बर्स, शेयर्स, लाइक्स, ब्रांडिंग और एडवरटाइजिंग की रेस में लग जाना
और फिर देखना कि तुम मंटो की मानिंद दुनिया भर में मशहूर पर लाचार लेखक की मौत नही मरोगे...
तुम मरोगे उस अमीर एडिटर की तरह जिसे कोई नही जानता....

Freedom fighter!

बईमानों की दुनिया मे ईमानदार बने रहने की ये लड़ाई...किसी आज़ादी की जंग से कम तो नही....
फिर मेरे रोज़ मरने पर मुझे शहीद क्यों नही कहते तुम?