Friday, December 28, 2018

धूप

मिष्टी के पेट मे आते ही मैंने नौकरी छोड़ दी थी। कहते है बच्चे को सर्दियों में रोज़ धूप दिखानी चाहिए। इसलिए मैं रोज़ उसे ले जाकर धूप में बैठती थी।
एक ड्यूटी सी थी...मन हो या ना हो...धूप में जाकर बैठो...
पर बैठने के बाद अच्छा भी लगता था। राजस्थान में थे हम उस वक़्त। सर्दी जानलेवा थी वहां की भी दिल्ली की सर्दी की तरह ही।

फिर मिष्टी बड़ी हुई...और अपने आप धूप में जाने लगी।

यहाँ मेरे घर में दरवाज़े-नुमा खिड़कियाँ है...बड़ी-बड़ी...

यहीं से धूप दिखाई देती है। चटकदार...जो सारी सर्दी हज़म कर सकती हो...

पर पिछले कुछ सालों में बहुत कुछ बदल गया...
मैंने फ़िर नौकरी कर ली है। पहले शौकिया लिखती थी। फिर तनख्वाह लेकर लिखने लगी। अब और तरक्की हो गयी है...एडिटर बन गयी हूँ।
9 बजे से ड्यूटी शुरू होती है। टाइटल बताते-बताते, वीडियो देखते-देखते, स्क्रिप्ट लिखते-लिखते और आर्टिकल एडिट करते-करते लगातार खिड़की से धूप दिखाई देती है।
मुश्किल से कुछ कदमों की मेरे और धूप के बीच की ये दूरी शाम तक तय नही हो पाती...
एक आर्टिकल के बाद...इस वीडियो के बाद...मेल का जवाब दे लूँ...स्टोरी के लिए फोन कर लूँ...

मेरे एडिटरी से फ्री होते-होते...धूप चली जाती है...

मेरी तरक्की हो गयी है।

QB

If you think there's nothing much to do in a qb. There is a lot of room to play magic even in a two line story!

"Baat usme nahi ki aapke paas 6 ball ho aur aap 6 run banaye. Baat usme hai jab aapke paas ek hi ball ho aur aap sidha sixer laga de"
- Pankaj Tripathi

https://youtu.be/1ygTT57Jb5s

Wednesday, December 26, 2018

रॉंग नंबर!

सोचो...माँ के नाम से सेव किये नंबर पर फिर कभी माँ न मिले तो?
हर बार...बार-बार कोई रॉंग नंबर कह कर रख दे।
तुम पुरानी डायरी में confirm करने के लिए दुबारा नंबर देखो...अड़ोसी पड़ोसी, नाते-रिश्तेदारों से पूछो.."आर यू शुयर....यही नंबर है?"
लोग तुम पर हंसे कि "कमाल है! अपनी माँ का नंबर भी नहीं जानता?"
तुम हर तरफ से पता करके एक बार फिर माँ का नंबर डायल करो..
और उधर से फिर से कोई कहे.."कितनी बार कहा...यह आपकी माँ का नंबर नहीं है....रॉंग नंबर!!!!"
और ठाय से फोन पटक दे...
सोचो...माँ के नाम से सेव किये नंबर पर फिर कभी माँ न मिले तो?

Pluto

कहते है.. प्लूटो गायब हो गया...एक काले, अंधेरे छेद में कही खो गया। न सूरज ने सुध ली उसकी, न चाँद ने उसे miss किया। कहते हैं...प्लूटो गायब हो गया।
इतने सारे भाई-बहनों में सबसे छोटा था। अब कही भूखा-प्यासा, अकेला, बेघर...रोता होगा बेचारा।
कहते हैं ...प्लूटो खो गया....

Cancer

Maa

Saturday, July 7, 2018

लेखक

तुम? कलाकार हो? लेखक?
वाह! लिखो....
आजकल पहले जैसा नही रहा...
अब तो कलाकारो की भी कद्र है दुनिया मे
लिखने के दाम मिलते है
तुम्हे मंटो की तरह कंगाल, भूखा और लाचार नही मरना होगा...
पर हाँ...उसकी तरह बस 'लेखक' न बने रहना
लिखना...पर तेज़ लिखना...एक दिन में कम से कम चार-पांच कहानियां
कहानियां जिन्हें तुम महसूस भी न कर सको
कहानियां जिन्हें तुम लिखना न चाहो...तब भी लिखो...
लिखना...पर ट्रेंडिंग टॉपिक पर लिखना...
फिर चाहे उस कहानी के सिर पैर से तुम्हारा कोई सरोकार न हो...
लिखना.... ब्रेकिंग न्यूज़ आते ही अपनी कहानी के किरदारों को वही मार कर ब्रेकिंग न्यूज़ के बारे में लिखना...
पर इस खुशफहमी में न रहना कि वो किरदार फिर कभी ...कभी भी तुम्हारे लिए जान देने के लिए दुबारा ज़िंदा होंगे...
तरक्की होगी तो लिखना छोड़ देना... रीच, नम्बर्स, शेयर्स, लाइक्स, ब्रांडिंग और एडवरटाइजिंग की रेस में लग जाना
और फिर देखना कि तुम मंटो की मानिंद दुनिया भर में मशहूर पर लाचार लेखक की मौत नही मरोगे...
तुम मरोगे उस अमीर एडिटर की तरह जिसे कोई नही जानता....

Freedom fighter!

बईमानों की दुनिया मे ईमानदार बने रहने की ये लड़ाई...किसी आज़ादी की जंग से कम तो नही....
फिर मेरे रोज़ मरने पर मुझे शहीद क्यों नही कहते तुम?

Friday, June 29, 2018

जहापना

कभी जहापना की आंखों का सितारा थी वो
आज कब्र पर उस बेगम की देखो चाँद भी हंसता है।
ये दुनिया बेशक अपनी सी लगती हो तुम्हे
सच तो ये है कि यहां हमेशा के लिए कोई नही बसता है...
एक रोज़ तुम्हारा भी आएगा, तुम्हे भी निकलना होगा
किसने कहा कि किसीके बगैर कोई काम कभी रुकता है
- मानबी

Saturday, June 23, 2018

Vasiyat

मुझे कभी भी बहुत दूर तक नहीं जाना था....
गुड़गांव में थी तो दिल्ली तक...कुतुब मीनार और इंडिया गेट देखने...
भिवाड़ी थी...तो निमराना के किले तक....
नोएडा थी....तो अक्षरधाम।
चेन्नई से ऊटी भी नहीं...बस पोंडिचेरी तक।
और अब यहां अहमदाबाद से मैं उदयपुर से आगे कहाँ सोचती हूँ कुछ।
पर तुम दूर दूर.. तक जाना.....मालदीव्स, मॉरीशस, पेरिस, लंदन....सब घूमना.... मेरी अस्थियों को डुबाना मत.... साथ ले जाना....

सपने

सपने ले डूबते हैं.....
छोटे-छोटे ही सही...

शिकायत

शिकायत? हुंह!!!
किससे करूँ?
हर कोई शिकायत करने पे शिकायत करने लगता है...
हर किसीको शिकायत है मेरी शिकायतों से...

Friday, June 22, 2018

Promotion

23 June 2018
8:45 AM

See... This is the thing about getting promoted!

I want to write about Deepti. Was longing to watch 'Memories in March'...

Siddharth had died last night in an accident. His mother came all the way to Kolkata for his cremation....

But its already 8:53 and I have read and publish 'Sex ki baat mat karo'....

Friday, June 15, 2018

10 signs that show....

पिछले दिनों मेरी एक निकटतम सहेली ने व्हाट्सएप ग्रुप पर एक वीडियो भेजा। शीर्षक था, '18 signs that show you are a matured person'.
सभी सहेलियों ने उसे देखा और मायूस हुई कि वे उतनी matured नही है जितना अपने आप को अब तक समझती आयी थीं।
कुछ को शायद यह भी लगा कि वो शत प्रतिशत matured है इन pointers के हिसाब से।
पर मैं ये सोचती रह गयी कि क्या हर किसी भाव या विचार को हम pointers की तराज़ू पर तौल सकते हैं?

क्या किसी भी व्यक्ति विशेष के व्यक्तिमत्व को चुनिंदा भावनाओं पर आधारित किया जा सकता है?

मानव मन असीम भावनाओं से भरा होता है। मैं अपनी कहूँ तो कभी मुझे छोटी सी बात पर ही किसीसे खिंचाव हो जाता है तो कभी बड़ी से बड़ी वेदना देने वाला भी मेरी नज़रों में अपनी जगह बनाये रखता है।
कभी किसी के स्वभाव से उस व्यक्ति से ही घिन हो जाती है, तो कभी इसी तरह के व्यक्ति को समझने की गूढ़ता मुझमे न जाने कहाँ से आ जाती है।

क्या इतना सरल है 10 या 20 तथ्यों से यह तय करना कि आप समझदार है, उल्लू के पट्ठे है या कुछ भी नही है?

ऐसे ही pointers और वीडियोज़ आजकल प्रेम के लिए, ईर्ष्या के लिए और हर उस भावना के लिए लिखे जाते हैं, जो हमे आत्म ग्लानि के अलावा कुछ नही देते।
पर फिर आत्म आंकलन का क्या?

यदि आप अपने भीतर झांककर यह नही बता सकते कि आप क्या है, तो इतनी बुद्धि का क्या अचार डाला जाए?

यदि कोई आपसे कोसों मील दूर बैठकर आपके बारे में 10 बातें लिख, आपको आपके ही बारे में फ़ैसला सुनाए तो आपका अस्तित्व सवालिया नही है?

जीवन बदलाव का दूसरा नाम है। हर चीज़ बदलती है। आपका स्वभाव, आपकी इच्छाएं, आपकी सोच....कुछ भी स्थाई नही है।

और यही तो मज़ेदार बनाती है जिंदगी को। हर व्यक्ति अलग....हर किसी की सोच अलग...जीने का ढंग...रवायतें, अरमान, सुख, दुख, खुशियां और हालात भी अलग!!!
फिर क्यों रखे कोई तराज़ू किसी भी बदलती हुई चीज़ को तौलने के लिए?

क्यों बांधे किसी के स्वभाव, सोच या व्यक्तिमत्व को 10 या 20 pointers में?

बस जैसे हैं वैसे स्वयं को अपनाए.... आज में खुलकर जिये ...कल के बदलाव का जश्न मनाए और जीवन नामक ईश्वर की इस ख़ूबसूरत देन को दोनों हाथों से गले लगाएं....

Saturday, May 26, 2018

घरेलू सहायक - चंपा

"भाभी मैं कल से 15 दिन नही आऊंगी...."
चंपा ने पोछा लगाते लगाते मुझसे कहा...

"अभी पिछले महीने भी तो छुट्टी ली थी चंपा....और 15 दिन...अरे बहोत दिक्कत होती है यार....रोकड़े पे 100 रुपये देने पड़ते है दिन के...."

"अरे पूरी बात तो सुन लो पहले..." चम्पा ने मेरी बेलगाम शिकायतों की फेहरिस्त को रोकते हुए कहा...

"मेरा घरवाला आएगा मेरे बदले 15 दिन...चलेगा?"

"ह्म्म्म...हाँ तो ऐसा बोल न... चलेगा चलेगा।"

"पर तू अकेले जा कहा रही हैं?"

"गांव...मेरी सास ने बुलाया है, फ़सल काटने को..."

"ओह्ह अच्छा! तुझे फ़सल काटना अच्छा लगता है क्या?"

"नहीं नहीं ...किसको अच्छा लगेगा ...सुबह से शाम तक धूप में ?"

"फ़िर ....तेरा घरवाला क्यों नही जाता फ़सल कांटने और तू यहां काम कर ले?"

"उसको नही आता ...."

"अरे ...उसी का तो खेत है न?"

" हां पर उसको नही आता..."

"अच्छा....ठीक है भेज देना उसे...."

चम्पा से मैंने ज़्यादा सवाल नही पूछे...पर न जाने कितने ही सवाल मेरे दिमाग में चलने लगे...

चम्पा ने बताया था कि वो बस तीसरी क्लास तक पढ़ी है। उसके पिता के बहोत कहने पर भी वो स्कूल नही जाती थी। उसे बकरियां चराना अच्छा लगता...तो वो सब सहेलियों के साथ बकरियां चराती। कह रही थी अब लगता है, पढ़ लेती तो अच्छा होता।

खैर, अमुमन बात यह है कि फ़सल तो शादी के पहले चम्पा ने भी कभी नही काटी थी। उसने ससुराल आकर यहां की इस ज़रूरत को सीखा होगा। पर उसके घरवाले ने नही सीखा....क्योंकि उसे वो काम अच्छा नही लगता था। क्या किसीने चम्पा से कभी पूछा होगा कि उसे क्या अच्छा नही लगता?

15 दिन के बाद चम्पा आयी....उसका रंग काफी गहरा हो चुका था। थोड़ी कमज़ोर भी लग रही थी। उसके घरवाले के रंग में कोई फर्क नही पड़ा।

मेरी योनि तुमसे अलग है इसलिए!

दिन भर थक कर, जब ऑफिस से घर आऊं तो काश कोई मुझे भी पूछे....चाय?? और साथ में??

रात में कभी कभी ही सही..... बस बैठकर खाने का इंतजार करु...खाना आये...मैं सिर्फ खाकर, प्लेट वही रख दूं और टीवी देखते देखते नींद आ जाये.... और बच्चे के साथ बस आधे घंटे के लिए खेल कर किसीको पकड़ा दूं।
सुबह उठु तो नाश्ता तैयार मिले और मैं खा कर यूं निकलू जैसे नौकरी नही देश का उद्धार करने निकली हूँ...
पर यह सुख मुझे प्राप्त नही...
क्योंकि मेरी योनि तुमसे अलग है।
मेरी योनि में छेद है....
जो by default मेरी किस्मत में भी छेद कर देता है।

एक बार एक बच्चे से सुना था कि वो भाग नही सकता क्योंकि जन्म से ही उसके दिल मे छेद है।
ह्म्म्म....तभी मैं कहूँ कि career की रेस में मुझे भागने क्यों नही दिया जाता और तुम्हे क्यों कुत्तों की तरह भगाए रखते है..
क्योंकि मेरी योनि तुमसे अलग है...
मेरी योनि में छेद है।

चुप रहो! इतना ही शौक है बैठकर आराम से पांव पसारकर चाय पीने का, डिनर करते ही tv देखते देखते सो जाने का, या बच्चे को सिर्फ खेलने के लिए उठाने का, तो घर का खर्च भी चलाओ....तुम्हारी सैलरी में तो पानी भी गर्म नही होगा...

अरे पर...तुम ही ने तो वो एचआर वाली नौकरी छुड़वाई थी....स्कूल में टीचर बनने को कहा था ताकि घर भी संभालती रहूं और ईएमआई भी....

सब कुछ तो करती हूं....बच्चे को स्कूल भेजना, नाश्ता बनाना, सब्जियां लाना, बर्तन धोना, घर साफ करना, बैंक का काम, सिलिंडर लगाना.... फिर मुझे थकान के बाद की चाय कोई क्यों नही ऑफर करता????

हा हा हा हा... जो जानती हो वही सुनना चाहती हो तो सुनो......
क्योंकि तुम्हारी योनि मुझसे अलग है.....तुम्हारी योनि में छेद है....

Friday, May 18, 2018

मंटो

कल ही कर्नाटक में सियासी खेल देखकर आदि ने कहा.... "अब तो कोई ईमान ही नही रह गया किसी का। यही तो फर्क है वाजपेयी और इनमें। खरीद- फ़रोख की सरकार बनेगी....बनेगी भी तो...."

मैने ताज़ा -ताज़ा मंटो की कहानी पढ़ी थी....कहा, "काश मंटो होता...सब कच्चा चिट्ठा साफ साफ लिख देता...."

कई बार मंटो के बारे में पढ़ते हुए मैं सोचा करती हूं...कि कितना अच्छा होता कि वो आज के दौर में पैदा हुआ होता...इतनी बेकदरी न हुई होती उसकी। आज इंटरनेट हैं...सैंकड़ो वेबसाइट है...कुछ नही तो उसका अपना ब्लॉग ही हिट होता...
प्रकाशकों के चक्कर न कांटने पड़ते....बेवजह ज़िल्लतें न झेलनी पड़ती।।

पर फिर अगले ही पल सोचती हूँ...आज के दौर में भी होता तो क्या उखाड़ लेता....अपना ब्लॉग लिखता ...और उसी तरह बेबाक लिखता तो आज भी धर लिया जाता....बल्कि क्या पता जितना जिया, उतना भी न जी पता....पहले लेख के बाद ही क़त्ल कर दिया जाता।

किसी वेबसाइट के लिए लिखता.... हहहह  ...तो मशीन बना दिया जाता....'जो कहा है वही लिखो....जितना कहा जाए उतना ही लिखो....तुम्हे ये लिखना है या नही इससे हमें कोई सरोकार नही....अगर हम कहते है कि लिखो...तो लिखो...'

'अपने मन का लिखना चाहते हो तो जाओ अपना ब्लॉग लिखो जहां मक्खी भी न भिनभिनाएँ..... यहां लिखना है तो ट्रेंडिंग टॉपिक पर लिखो....सही-गलत... माय फुट....आधे घंटे में कहानी तैयार होनी चाहिए...

तुम्हे तनख्वाह अच्छा लिखने के लिए नही, दुनिया से हटकर सोचने के लिए नही... नंबर्स लाने के लिए दी जाती है....
समाज ? उससे हमें क्या लेना देना....हम नंबर्स के लिए लिखते है....लाइक्स, शेयर्स, कमैंट्स....उसीसे ये एसी वाला कमरा आता है....उसीसे ये ब्रांडेड टी-शर्ट आती है... उसीसे से नई गाड़ी का ईएमआई आता है'

.....और मंटो दूसरों की सोच के हिसाब से ट्रेंडिंग टॉपिक पर आधे घंटे में ताज़ा खबर सबसे तेज़ लिखने वाला मशीन बन जाता।

मंटो कहता था....वो कहानियों को नहीं बल्कि कहानियां उसे लिखती हैं.....

अच्छा है कि मंटो आज नही है....वर्ना नंबर्स के लिए लिखी इन कहानियों से बना मंटो...नाकाबिल-ए-बर्दाश्त होता....

Friday, March 30, 2018

हो सकता है!

हो सकता है कि तुम एक मुखौटा पहनकर,
साधु के वेश में फिर एक बार सीता को ठगों।

हो सकता है कि तुम मीठी बातों से, सादे नैनो से
एक बार फिर शिव से वरदान मांग उन्हीं को भस्म करने के लिए भागो।

हो सकता है कि तुम आधा राज्य देने का वचन दे
लाक्षागृह का षडयंत्र एक बार फिर से साधो।

हो सकता है कि तुम अपनी तरफ बढ़ते हुए हाथों को थाम साथ चलने की अपेक्षा
उन्हें काटकर अपना कंटीत पथ उन फूलों जैसे हाथों से सजा दो।

हो सकता है कि तुम अपने हितैषियों के प्रेम को सीढ़ी बना
नभ की बुलंदियों को छू दो....

हो सकता है कि तुम छल से सफलता पा भी लो
हो सकता है....

पर ये भी हो सकता है कि तुम....
जब भी दर्पण देखो....
तो धिक्कारते अपने प्रतिबिंब की चीखों से जागो।
और अपना मुखौटा हटा, राम का तीर अपने नाभि पर लिए प्रायश्चित का भंवर बांधो।

मैं उस पल की प्रतीक्षा करती हूँ।
तुम्हारी सोई हुई चेतना को, उस पल तक के लिए, क्षमा करती हूँ!

- मानबी कटोच

(अपने एक सहकर्मी को समर्पित जो अब भी मुखौटा पहन न जाने किस किस को छल रहा है! )
दस सिर वाले रावण से रणभूमि में तो लड़ा जा सकता है पर साधू के भेस में आये रावण का क्या किया जाए?

Tuesday, March 13, 2018

कल सुबह।

ये जो तुम मुँह फेर कर
बिना बोले बिना माने
गुस्से में यूं सो जाते हो
सोचो...
सुबह हो... और मैं तुम्हे मनाने के लिए
फिर कभी न उठ पाऊं तो????

Sunday, March 4, 2018

अब!

"उठ जा 8 बज गये...पता नही ससुराल जाके इस लड़की का क्या होगा" बाबा कहते थे।

और वो मुँह पर चादर ओढ़ एक और सपना देख लेती थी ...

"अरे कुछ बनाना सीख ले...ससुरालवालों को क्या खिलाएगी" माँ कहती।

"माँ तीखी चटनी नहीं बनाई.... सिर्फ दाल सब्ज़ी?" वो कॉलेज से आकर टीवी के सामने टांगे पसारे खाना खाते खाते शिकायत करती थी

"You look so beautiful in black" ऑफिस की फेयरवेल पार्टी में किसीने कॉम्प्लिमेंट किया था।

और उसने अपने बेबाक अंदाज़ में कहा था "Thanks! But tell me something new" और सबके साथ ठहाके लगाकर हंसी थी।

वो जो मन का कहती थी, मन का पहनती थी, ज़िन्दगी को जैसे जीना सिखाती थी, खुली हवाओं में खुलकर सांस लेती थी...

वही आजकल सपनो को बीच मे छोड़, 5 बजे के अलार्म पर उठ जाती है... नहाकर, पूजा कर सबको चाय देती है।

सास ससुर के स्वाद का बिना मसाले का खाना बनाती है और चुपचाप डाइनिंग टेबल पर बैठकर वही खाती है।

"बहु हमारे यहाँ ब्याहता औरतें काला या सफेद नहीं पहनती" शादी के दूसरे दिन मिली हिदायत को रोज़ अलग अलग रंग की साड़ियां पहनकर निभाती है।

अब वो मन का नही खाती, मन का नही पहनती, मन का नही जीती.. रसोई में बन रहे खाने के धुएँ में बस सांस लेती है।

Thursday, February 22, 2018

Adorer Naam

We Bengalis always have two names - one used for the outer world and the other Adorer naam or daak naam(pet name)!
Maa had two too. Her Adorer naam was 'Khukhu'(little girl).
Though I met my maternal grandparents very few times, still I remember them calling Maa as Khukhu.
But I heard Baba always calling her Khukhu.
Baba got a brain stroke 7 years ago. He lost his speech for sometime. He can speak now but not clear enough.
No one calls Maa now by her Adorer naam - Khukhu!

Wednesday, February 21, 2018

हैरी पॉटर


ऑफिस में सब हैरी पॉटर पढ़ते हैं। उनकी बिरादरी में शामिल होने के लिए मैंने भी कई बार कोशिश की कि हैरी पॉटर पढूं और जितना मज़ा मंटो पढ़ते हुए लेती हूं उतने ही मज़े से पढूं। पर मज़ा नही आता...और मैं हर बार हैरी के उस जादुई स्कूल में पहुंचने से पहले ही हार मान जाती हूँ।

ऑफिस में कोई गुलज़ार नही पढ़ता। ऑफिस में कोई रितुपोर्नो की मूवीज नही देखता।

कल 'त्रिवेणी' एक बार फिर पढ़ी। पिछले महीने शरू की रितुपोर्नो की 'शोब चोरित्रो काल्पनिक' खत्म की।

वो सीन याद आता रहा जहां राधा इंद्रनील की आखरी कविता पढ़ती हैं, और चीखती है उसपे कि उसने, उसकी कविता क्यों चुराई। कुछ समझ नही आता...
और अगले ही सीन में वो अपनी अंग्रेज़ी कविता सुनाती हैं जो हूबहू इंद्रनील की बंगला कविता से मेल खाती हैं।

त्रिवेणी के पहले दो शेर मुकम्मल तो लगते हैं। पर कवि क्या कहना चाह रहा हैं ये तीसरे मिसरे से ही पता चलता हैं।

मैंने रितुपोर्नो की कई मूवीज देखी। गुलज़ार को कई बार पढ़ा। पर कल ये दोनों पहली बार एक से लगे। जैसे बरसो की दोस्ती हो इनकी...और फिर नौकरी चाकरी के चक्कर मे अलग अलग देश चले गए हो...मिलते नहीं...पर अब भी एक सा सोचते हो...अब भी कोई एक सा तकियाकलाम हो उनका...अब भी कोई ऐसी एक गुप्त बात हो उनकी जिस पर वो दोनों ही हंस सकते हो...

पर ये दिलचस्प बात किससे कहूँ? रितुपोर्नो और गुलज़ार एक से हैं इस पर घंटो किससे गप्पे लड़ाऊं? ऑफिस में तो सब हैरी पॉटर पढ़ते हैं!
ऑफिस में कोई गुलज़ार नही पढ़ता....ऑफिस में कोई रितुपोर्नो की मूवीज़ नही देखता...

https://youtu.be/9a0mNDKWBpI

Thursday, February 15, 2018

हिंदी बोलने वाला

मैं हिंदी की खाता हूं...उसीसे ज़िंदा हूँ
ये और बात है कि इसी बात पर मैं शर्मिंदा हूँ

वो अंग्रेज़ी बोलता, कहता है उसीसे जीता है
उसीमे मुझको ज़ख्म देता, उसीसे सीता है

सजी है शायरी उसकी आला उर्दू में
मैं हिंदी के लहजे में एक लफ्ज़ भी कह लूं तो उसको चुभता है

वो बचपन से अपनी मादरी ज़ुबाँ का आदि है
उसे लगता है मेरी कोशिश उसकी भाषा की बर्बादी हैं

वो अफसर के घर पैदा हुआ मिली किताबे उसे
मेरे पिता मज़दूर थे कोई बता दे उसे

माना कि उसने सब कुछ पढ़ पढ़ के जाना है
मेरे अपने अनुभव हैं, सीखने का यहीं एक बहाना हैं

मैं उसे सुनकर उसका मुरीद बन बैठा
वो भी कभी सुनेगा मुझे इसकी उम्मीद कर बैठा।

Ghutan घुटन!

क्यों जकड़ रखा है तुमने भाषा, ज्ञान, लिंग, संस्कृति, धर्म और मनोरंजन को उन बेड़ियो में जिनके चंगुल से वो चाहकर भी निकल नही सकते?
आखिर क्यों तुम्हे लगता है कि उच्चारण पर सिर्फ तुम्हारा अधिकार है?
तुमने पढ़ी होंगी ढेर ढेर किताबें
धर्म का तुमको इल्म मुझसे कई ज़्यादा होगा
तुम जाते होंगे किसी कॉन्वेंट में
और कुकम्बर को क्युकम्बर कहना सिखा होगा अपनी ईसाई टीचर से
तुम्हारे मदरसे में बताते होंगे कि खान epiglottis से आना चाहिये
और हिंदी के जानकार से सीखी होंगी तुमने सतरह और सतारा का फर्क
तुम अच्छे स्कूल में जाते होंगे तभी तुम्हे मालूम हैं कि हमारा देश उसकी संस्कृति से जाना जाता है
और तुम्हे बचपन से फैशन की हिदायते मिलती होंगी तो तुमने जाना कि लाल होंठो के साथ हरा चोला देहाती लगता है।
तुम्हे हैरी पॉटर का पता मेरे चाचा चौधरी से पहले लगा होगा
तुम्हारा स्टेटस सिंबल अंग्रेज़ी रहा होगा
पर ....पर तुम सब कौन होते हो... भाषा, धर्म, सांस्कृति , मनोरंजन को बेड़ियों में बांधने वाले?

Saturday, February 10, 2018

मैं मिडल क्लास कहलाता हूँ

पराँठे पसंद होते हुए भी
ब्रेकफस्ट में कॉर्नफ़्लेक्स खाता हूं

चाय की चुस्की छोड़ दी कब से
कड़वी कॉफी किसी तरह पी जाता हूँ

जेब पे भारी पड़ने वाली एक्सोटिक फ्रूट्स खाता हूं
पर सब्जीवाले से अब भी धनियां फ्री में ही लाता हूँ

भले ही दो रोटी कम खाऊं
पर बच्चो को इंटरनेशनल स्कूल में पढ़ाता हूँ

खुद लटक लटक के पास हुआ पर
पर बच्चो से अंग्रेज़ी ही बुलवाता हूँ

लोग क्या कहेंगे इस डर से
माँ को बेमन से साड़ी दिलाता हूं

स्टेटस मेन्टेन करने की खातिर
बीवी को भी शॉपिंग कराता हूँ

एयरपोर्ट पे बेशक भूल जाऊं,
पर फेसबुक पे चेकइन करना कभी नही भुलाता हूँ

नोटबंदी हो चाहे जीएसटी लगे
मंथ एन्ड में उधार से ही घर चलाता हूँ

घर की ईएमआई देते देते अक्सर भगवान को प्यारा हो जाता हूँ

न गरीबी रेशा के नीचे न अमीरी के ऊपर.. मैं मिडिल क्लास कहलाता हूँ।

© मानबी कटोच

Tuesday, January 30, 2018

I will be raped!

The news in the morning said I will be raped
I will be raped if I wear a skirt
Coz it's kind of a sign to the men to take off my shirt
I will be raped if my lips are red
Coz that's quite enough to boil their blood
I will be raped if I get back late
And need to accept it as my fate
Wearing a jeans will be my fault
Coz these types of girls get raped by default
I will be raped if I smile
I will be raped every while
I will be raped if I care
I will be raped if I dare
I will be raped if I fight
I will be raped coz men are always right.
The news in the morning said I will be raped
But I just ignored it as I do none of them
I just stay home and stay with mum
I don't speak to boys as that's the advice
And thought to myself, "ohh am so wise"
To not get raped, I followed all the rules
And those who get raped I thought were fools
For what is so hard to not get raped
It's not that tough I would always debate..
And I lived happily ever....but wait wait wait
Until one day when my mum came late
He took off my diaper....and I was RAPED!!!!