Friday, June 29, 2018

जहापना

कभी जहापना की आंखों का सितारा थी वो
आज कब्र पर उस बेगम की देखो चाँद भी हंसता है।
ये दुनिया बेशक अपनी सी लगती हो तुम्हे
सच तो ये है कि यहां हमेशा के लिए कोई नही बसता है...
एक रोज़ तुम्हारा भी आएगा, तुम्हे भी निकलना होगा
किसने कहा कि किसीके बगैर कोई काम कभी रुकता है
- मानबी

Saturday, June 23, 2018

Vasiyat

मुझे कभी भी बहुत दूर तक नहीं जाना था....
गुड़गांव में थी तो दिल्ली तक...कुतुब मीनार और इंडिया गेट देखने...
भिवाड़ी थी...तो निमराना के किले तक....
नोएडा थी....तो अक्षरधाम।
चेन्नई से ऊटी भी नहीं...बस पोंडिचेरी तक।
और अब यहां अहमदाबाद से मैं उदयपुर से आगे कहाँ सोचती हूँ कुछ।
पर तुम दूर दूर.. तक जाना.....मालदीव्स, मॉरीशस, पेरिस, लंदन....सब घूमना.... मेरी अस्थियों को डुबाना मत.... साथ ले जाना....

सपने

सपने ले डूबते हैं.....
छोटे-छोटे ही सही...

शिकायत

शिकायत? हुंह!!!
किससे करूँ?
हर कोई शिकायत करने पे शिकायत करने लगता है...
हर किसीको शिकायत है मेरी शिकायतों से...

Friday, June 22, 2018

Promotion

23 June 2018
8:45 AM

See... This is the thing about getting promoted!

I want to write about Deepti. Was longing to watch 'Memories in March'...

Siddharth had died last night in an accident. His mother came all the way to Kolkata for his cremation....

But its already 8:53 and I have read and publish 'Sex ki baat mat karo'....

Friday, June 15, 2018

10 signs that show....

पिछले दिनों मेरी एक निकटतम सहेली ने व्हाट्सएप ग्रुप पर एक वीडियो भेजा। शीर्षक था, '18 signs that show you are a matured person'.
सभी सहेलियों ने उसे देखा और मायूस हुई कि वे उतनी matured नही है जितना अपने आप को अब तक समझती आयी थीं।
कुछ को शायद यह भी लगा कि वो शत प्रतिशत matured है इन pointers के हिसाब से।
पर मैं ये सोचती रह गयी कि क्या हर किसी भाव या विचार को हम pointers की तराज़ू पर तौल सकते हैं?

क्या किसी भी व्यक्ति विशेष के व्यक्तिमत्व को चुनिंदा भावनाओं पर आधारित किया जा सकता है?

मानव मन असीम भावनाओं से भरा होता है। मैं अपनी कहूँ तो कभी मुझे छोटी सी बात पर ही किसीसे खिंचाव हो जाता है तो कभी बड़ी से बड़ी वेदना देने वाला भी मेरी नज़रों में अपनी जगह बनाये रखता है।
कभी किसी के स्वभाव से उस व्यक्ति से ही घिन हो जाती है, तो कभी इसी तरह के व्यक्ति को समझने की गूढ़ता मुझमे न जाने कहाँ से आ जाती है।

क्या इतना सरल है 10 या 20 तथ्यों से यह तय करना कि आप समझदार है, उल्लू के पट्ठे है या कुछ भी नही है?

ऐसे ही pointers और वीडियोज़ आजकल प्रेम के लिए, ईर्ष्या के लिए और हर उस भावना के लिए लिखे जाते हैं, जो हमे आत्म ग्लानि के अलावा कुछ नही देते।
पर फिर आत्म आंकलन का क्या?

यदि आप अपने भीतर झांककर यह नही बता सकते कि आप क्या है, तो इतनी बुद्धि का क्या अचार डाला जाए?

यदि कोई आपसे कोसों मील दूर बैठकर आपके बारे में 10 बातें लिख, आपको आपके ही बारे में फ़ैसला सुनाए तो आपका अस्तित्व सवालिया नही है?

जीवन बदलाव का दूसरा नाम है। हर चीज़ बदलती है। आपका स्वभाव, आपकी इच्छाएं, आपकी सोच....कुछ भी स्थाई नही है।

और यही तो मज़ेदार बनाती है जिंदगी को। हर व्यक्ति अलग....हर किसी की सोच अलग...जीने का ढंग...रवायतें, अरमान, सुख, दुख, खुशियां और हालात भी अलग!!!
फिर क्यों रखे कोई तराज़ू किसी भी बदलती हुई चीज़ को तौलने के लिए?

क्यों बांधे किसी के स्वभाव, सोच या व्यक्तिमत्व को 10 या 20 pointers में?

बस जैसे हैं वैसे स्वयं को अपनाए.... आज में खुलकर जिये ...कल के बदलाव का जश्न मनाए और जीवन नामक ईश्वर की इस ख़ूबसूरत देन को दोनों हाथों से गले लगाएं....