Saturday, April 27, 2024

Baby Reindeer

आप किसी को कितना जानते हैं?

चाहे आपका सबसे अच्छा दोस्त हो, भाई/बहन, माता-पिता या बच्चे!
आप किसी को भी पूरी तरह नहीं जानते!

अपने बच्चों के अतीत को जानते होंगे पर वर्तमान को जानते हैं? कई बार आप अतीत को भी पूरी तरह नहीं जानते या जानकर अंजान बने रहना चुनते हैं!

अपने पति/पत्नी के वर्तमान को जानते हैं पर अतीत से पूरी तरह वाकिफ़ हैं? 

माता-पिता के बचपन या युवावस्था के दिनों की कितनी बातें पता है आपको?

और दोस्त? 
कई बार हम अपने सबसे अच्छे दोस्त के भी सबसे दर्दनाक राज़ नहीं जान पाते। 
कभी कोई पुराना ज़ख्म सामने नज़र आ जाए और भावुक होकर गलती से कह दे तो अलग बात है। 

पर क्योंकि समाज ने ऐसी बातचीत को कभी स्वाभाविक समझा ही नहीं, इसलिए आपको उस पल समझ ही नहीं आता कि उस जानकारी का आप क्या करेंगे। 

ऑफिस में एक सहकर्मी हमेशा की तरह काम क्यों नहीं कर पा रहा?

एक पुराने दोस्त ने अचानक कॉल करना क्यों बंद कर दिया?

माँ की सोच किसी-किसी मामले में इतनी अजीब क्यों है?

बाबा खुलकर किसीसे कुछ क्यों नहीं कहते? बस झुंझला क्यों उठते हैं?

या बच्चा आजकल खुले आसमान से ज्यादा बंद कमरा क्यों पसंद करने लगा है?

हम नहीं पूछते!
कोई बताता भी नहीं!
ये असहज बातें, समाज के बनाए दायरे के चादर तले ढंके रह जाते हैं। 
और जीवन चलता रहता है...

Netflix पर #BabyReindeer देखें!

#Martha को समझते समझते #Donny अपने आप को समझने लगते हैं। अपने माता-पिता को जान पाते हैं। अपनी शर्म को, अपने अतीत को, अपने आप को अपना पाते हैं। 

क्या किसी को भी अपनाने से पहले, खुद को अपना लेना ज्यादा जरूरी नहीं है?

Tuesday, April 23, 2024

Trigeminal Neuralgia

Trigeminal neuralgia 

इस शब्द के बारे में मुझे अभी बस कुछ एक-दो साल पहले ही पता चला। 
इसका type1 अचानक किसी भी ट्रिगर के कारण इतना असहनीय दर्द देता है कि आपको सुसाइड करने का मन करता है इसलिए इसे सुसाइड डिजीज भी कहा जाता है। 
Thankfully मुझे type2 है जिसमें चेहरे के निचली ओर कहीं भी लगातार दर्द होता रहता है। 
करीब 10-15 सालों से मुझे यह दर्द एक मसूड़े में है। इसलिए अब तक मेरे उस दांत का ही इलाज चलता रहा। 
जब दांत तक उखाड़ दिया गया और फिर भी दर्द नहीं गया तब जाकर डेंटिस्टों ने अपने हिस्से की जायदाद न्यूरोलॉजिस्टों के नाम की। 
तो आजकल उन्हीं को अपनी जमा-पूंजी बांट रही हूँ। 
अगर आप भी ऐसे किसी प्राचीन हो चुके दर्द से जूझ रहे हैं और अपनी सम्पत्ति दान कर दर्द से मुक्ति चाहते हैं तो 'पेन स्पेशलिस्ट' नाम के विशेष डाक्टरी जनजाति से संपर्क कर सकते हैं। 
खैर ये सब तो मैंने awareness की ख़ातिर बता दिया। मुद्दा यहां दरअसल फलसफे से शुरू हुआ था। 
कुछ रोज़ पहले मेरा दर्द अपनी चरम पर था। लगा इसका आखिरी इलाज यानी - दर्द देने वाले उस नस को इंजेक्शन से सुन्न कर देना- यह कर ही लेती हूँ। 
पर पेन स्पेशलिस्ट ने सलाह दी कि दवाईयों का डोज बदलकर देख लूँ। 
कुछ समय तक तो दवाईयों ने असर नहीं दिखाया पर फिर थोड़ा आराम मिलने लगा। 
यूँ तो मेरा दर्द इतने से ही शुरू हुआ था और तब मैं बिना दर्द के रहने के उपाय खोज रही थी। 
लेकिन चूंकि दर्द इतना ज्यादा बढ़ गया था कि बर्दाश्त के बाहर था तो अब इस कम हुए दर्द के साथ ही खुश हूँ। 
जिंदगी में शायद ऐसा ही होता है। बचपन में हम छोटे मोटे दर्द की शिकायतें कर रहे होते हैं। लेकिन बड़े होते होते इतना कुछ सह चुके होते हैं कि बचपन जितने दर्द की दुआ मांगने लगते हैं। 

Sunday, April 21, 2024

नीलगिरी

मेरे घर के आंगन में एक eucalyptus यानी नीलगिरी का पेड़ हुआ करता था। गेट से घुसते ही दायीं तरफ़। कई बार पता पूछने पर हम इसी को अपने घर की पहचान बताते। 
मुझे उसका साफ़, सफेद तना बहुत अच्छा लगता था। भीष्म पितामह जैसी vibes थी कुछ उसमें। 

कभी-कभी उसकी बड़ी-बड़ी डालियां सूखकर गिर जाती थीं। कभी किसी को भी चोट तो नहीं लगी, पर ये ख़तरा हमेशा बना रहता था। 
पर मुझे तो इसकी डालियों का गिरना भी बहुत अच्छा लगता था। क्योंकि उनके साथ कुछ नए पत्ते भी गिरते थे, कच्चे हरे रंग के, बिल्कुल नवजात शिशु की तरह स्वच्छ और उन्हीं की तरह पाक खुशबू.... 

पता नहीं कितने सालों से था वह वहां। लगता था हमेशा से यही खड़ा है द्वारपाल की तरह। कहा न भीष्म पितामह की तरह!

पर फिर एक दिन बिट्टू अपनी मम्मी के साथ आया। पेड़ के बगल में कुल्हाड़ी पड़ी थी। उसने पेड़ के साफ़, सफेद तने पर वार करना शुरू कर दिया। 

बिट्टू के पापा बड़े ओहदे पर थे। माँ कुछ नहीं कह पाई। बिट्टू की मम्मी बीच-बीच में जैसे formality की खातिर कह देतीं- "बिट्टू नहीं करते बेटा!"

उस दिन के बाद से पेड़ सूखता चला गया। उसका साफ, सफेद तना अब कुल्हाड़ी के कई वार से छिला हुआ था। जैसे अर्जुन ने कई तीर मार दिए हों। 

डालियां एक-एक कर गिरने लगीं। सेफ्टी के लिए तने से पेड़ को काटना पड़ा।
और फिर.. उसने समाधि ले ली। 

उस दिन माँ कुछ कह देती तो?
मैं किसी तरह बिट्टू के हाथ से कुल्हाड़ी छीन लेती तो?
कहते हैं नीलगिरी का पेड़ 200 साल तक जी सकता है!