Sunday, January 12, 2025

अभिनय

दर्शक बने रहना आसान नहीं है, ख़ासकर जब आपके पास ख़ुद करने के लिए कुछ भी न हो और आपके अगल-बगल इतने बेहतरीन अभिनेता अभिनय कर रहे हों। 

यहां मैंने तय कर लिया था, जीवन में यदि दर्शक ही बने रहूँगा तो जो सब दिखाएंगे मुझे देखना पड़ेगा। सो मैंने एक लंबी साँस भीतर खींची और अभिनय की इस विराट दुनिया में मैं कूद गया!

- मानव कौल 
ठीक तुम्हारे पीछे 

Thursday, January 2, 2025

दोस्त

मैं चाहती थी, हम दोनों दोस्त होते। सबसे अच्छे दोस्त। 
पर सबसे अच्छे दोस्त से आप जो दिल करे कह सकते हैं। हम नहीं कह पाए। हम दोस्त नहीं बन पाए। 

मैं एक कविता लिखना चाहती हूँ

मैं एक कविता लिखना चाहती हूँ 
जो छप जाए अखबारों में 
इतनी प्रतियां बिके उसकी 
कि काम आए मजारों में 

मैं एक कहानी लिखना चाहती हूँ 
जिसकी बन जाए पिक्चर 
सिनेमा घरों में भीड़ लगे 

मैं कुछ ऐसा लिखना चाहती हूँ 
कि नाम जाने दुनिया सारी 
और मेरे घर आनेवाला हर मेहमान 
माँ से पूछे 

माँ जिस दिन कहेगी 
तू इतनी बड़ी Writer है 
पर हमने घमंड नहीं किया 

उस दिन 

तुम्हें छूना चाहती हूँ 
पर तुम तो कितने सुंदर हो?

तुम्हें छूने के लिए सुंदर होना होगा न?

लिखो 1

2 जनवरी 2025
8:03 pm

किसी ने कहा रोज़ लिखो। कम से कम 20 पेज लिखो। 
हिन्दी में मोबाइल पर लिखना इतना आसान है क्या?
बीता साल हार का साल रहा। 
डॉ Ishita ने मेरे उस confidence को हरा दिया कि कोई गलत करेगा तो मैं लड़ सकती हूँ। 
मुझे लगा कि वो ताकतवर है। ladungi तो हार जाऊँगी।  जैसे अभी अभी इस की-बोर्ड से हारी हूँ जो ladungi नहीं लिखना जानता। 
Datta से जीती पर संचारी से हार गई। 
और अब लड़ने की ताकत ही नहीं रही। 
जब मेहनत का सारा फल उसी को छीनना है तो मेहनत का क्या फायदा। 
जब चीख चीख कर गलत को गलत बताने पर आपको ही पागल करार कर दिया जाए तो शांत रहकर सभ्य समझे जाने में ही भलाई है। 
मुझे ये नौकरी 3 साल और चलानी है। 
जब तक मिष्टी कहीं सेट न हो जाए और मेरे इंश्योरेंस के पैसे न चुक जाए। 
कभी कभी सोचती हूँ कितना आसान है संचारी के लिए। एक IAS officer की बेटी है। अच्छी खासी प्रॉपर्टी है। 
Presentation skill इतना शानदार कि किसी का भी idea चुराकर अपना बता दे। 
और अनु... उसे न्याय अन्याय से क्या लेना देना। बस नाम होना चाहिए। 
आज मेरी बारी है।  कल तेरी होगी संचारी। कोई न कोई तो आयेगा तेरी करतूतों पर पानी फेरने । उस दिन भी न्याय नहीं होगा। 
मैं उस दिन रहना नहीं चाहती। 
डॉ Ishita को भी हारते देखना चाहती थी मैं। फिर खुद ही डर कर बैठ गयी। 
लिखना चाहती हूँ। कुछ ऐसा जिसे पढ़कर मानव कौल का फोन आ जाए। 
एक कहानी जिसे लिखने के बाद माँ को मुझपर दादा से थोड़ा ज्यादा अभिमान हो जाए। 
एक ऐसा गीत जो मिष्टी भी गुनगुनाए। 
टीवी की स्क्रीन पर नाम हो 
Writer - Manabi Katoch

Sunday, December 22, 2024

सच की विडंबना

सच की विडंबना यही है 
कि झूठ उसे मारने की ताकत रखता है। 

कितना झूठ है सच का यह समझना 
कि वह हमेशा सच माना जाएगा,

कि अंत में जीत उसी की होगी 
और झूठ हार जाएगा,

कि न्याय हमेशा उसके पक्ष में होगा 
और झूठ को दंड मिलेगा,

कि ईमानदारी ही बेहतरीन नीति है 
और बेईमान का मुँह काला होता है 

सच, न्याय पर विश्वास कर ठगा जाता है 

Thursday, November 21, 2024

बीच के लोग!

दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं 
एक जो पैसों के लिए कुछ भी कर सकते हैं 
और दूसरे जो सिर्फ पैसों के लिए कुछ नहीं करना चाहते 
ये दोनों ही सुखी रहते हैं। 
और फिर होते इन दोनों के बीच के लोग जो अच्छा काम तो करना चाहते हैं पर साथ में पैसा भी चाहते हैं। इस तरह के लोग हर हाल में दुःखी पाए जाते हैं!

Tuesday, November 19, 2024

महफ़ूज़

मैं कभी किसी भीड़ वाले 
कॉन्सर्ट में नहीं गया 

भगदड़ मच गई तो?

मुझे थिएटर में जाने से 
परहेज था 

आग लग गई तो?

मैं नदियों, समंदर से
कोसों दूर रहा 

डूबा ले गई तो?

मैं यही रहा 

चाहर दीवारी में 

और फिर कब्र की मिट्टी में..


महफ़ूज़!!