Monday, November 3, 2025

Women's Cricket

Team India World Cup जीत गईं। 
लड़कों की टीम जीतने पर इतनी भावुक नहीं हुई थी,
जितनी लड़कियों की टीम हुई।
भीतर दबा हुआ हर दर्द जैसे बाहर आ रहा हो। 
मैं हर जीत पर रात को ही खुद बनाकर पोस्ट डाल देती हूँ। 
ये पहली बार था कि English Team ने रात में जागकर पोस्ट डाला था। 
सुबह उठते ही उन्हें शाबाशी मिल गई।
हम फिर unnoticed रहे। 
पर शायद एक दिन हमारा भी दर्द इसी तरह खुशी बनकर बाहर निकलेगा। 

Friday, October 17, 2025

काश

काश किसी दिन मैं तुम्हें किसी और से कहते हुए सुनूँ कि तुम्हें मुझसे कितनी मोहब्बत है!

Wednesday, October 15, 2025

Blue Sky

There's no blue sky up there. It's just darkness up there. It's the reflection of the water. Because 71% of earth is water. What if 71% of earth was coal? It would be dark....so dark. ... It's our reflection that we see. We need to decide our reflection!

Sunday, October 12, 2025

संसार बसाना और संसार चलाना

मुझे याद है, गलेरिया मार्केट की वो दुकान। हम पहली बार घर का सामान ले रहे थे। झाड़ू, डस्ट-पैन, सिरका, चिमटा... सब!!
एक अलग ही मज़ा आ रहा था... अपना नया नया संसार बसाने का उत्साह...
और फिर .. ये हर महीने का काम बन गया...
शादी धीरे-धीरे एक काम बन जाती है। संसार बसाने में जो उत्साह होता है... वो संसार चलाने में खत्म हो जाता है। 
कहीं भगवान के साथ भी तो ऐसा ही नहीं हुआ? इतनी सुंदर दुनिया बनाई, इतना सुंदर सजाया... पर अब शायद उसे चलाते चलाते ऊब गए हैं!

Tuesday, October 7, 2025

Pinky Das

Pinky Das... ये मेरे मायके का नाम था..
 ससुराल का नाम मालविका राजपुरोहित है। 

मैं सुनकर हैरान थी। मुझे लगा मैं उस शताब्दी में हूँ जहां लड़कियां अब अपना उपनाम नहीं बदलती। 
पर आज इसी शताब्दी में एक पढ़ी लिखी नौकरी करने वाली नवविवाहित का नाम तक बदल दिया गया?
वो ये सब हंसते हंसते कह रही थी। कह रही थी- घर जाकर उसे रोटी खाने की इच्छा नहीं है। वह बंगाली परिवार से थी। हम दोनों दशमी के दिन माँ दुर्गा को सिंदूर लगाने की लाइन में खड़े थे। दशमी के दिन हम बंगाली आमिष यानी Nonveg जरूर खाते हैं। उसकी शादी एक गुजराती परिवार में हुई थी, जहां घर के अंदर आमीष खाना और पकाना, दोनों वर्जित था। 
"बाहर खाना Allowed है।" उसने कहा। 
कह रही थी - ससुर बीमार है। इसलिए पहली दुर्गा पूजा पर घर नहीं जा पाई। 
कह रही थी - सास ने कहा था कि वो पूजा पंडाल ले जाती पर ननद का बच्चा छोटा है, कैसे आती। 
कह रही थी- वो गरबा में भी नहीं जा पाई पर ननद कल तैयार होकर गई थी अपनी पूरी ग्रुप के साथ। 
कह रही थी- आपस में वो लोग गुजराती में बात करते हैं, मुझे समझ नहीं आती पर मेरे साथ हिंदी में बात करते हैं। 
कह रही थी- कल वो अकेली ही ढूंढती हुई नवमी की पूजा देखने आयी थी। पति को इन सबमें interest नहीं है। आज भी उन्हें काम था पर आ गए। 
कह रही थी- ससुराल वाले अच्छे हैं, कहीं जाने आने को नहीं रोकते। 
बार बार देख रही थी कि पति परेशान तो नहीं हो रहे। फोन पर कह रही थी- बस हो गया। थोड़ी देर और..

सिंदूर लगाने की लाइन आगे बढ़ी तो एक बुजुर्ग महिला मुझसे आगे आने की अनुमति मांगने लगी। मैंने उन्हें आने दिया। उनके साथ 4-5 जवान महिलाएं भी जुड़ गई। 
पिंकी और मेरे बीच 6-7 लोगों का फासला हो गया। 
माँ को सिंदूर लगाने के बाद सभी विवाहिता एक दूसरे को सिंदूर लगाने लगी। मैंने नीचे आकर पिंकी को बहुत ढूँढा। वो कहीं नहीं थी। 
क्या Facebook पर वो पिंकी दास के नाम से होगी? या उसने वहां भी अपना नाम बदलकर मालविका राजपुरोहित कर दिया होगा?
क्या फिर कभी कोई उसे उसके माँ बाप के दिए नाम से ढूँढ पाएगा?

Sunday, September 28, 2025

Greece

Maa loves white. May be Maa would have loved Greece. 

Friday, September 26, 2025

Letter to my childhood self!

I wish I could take care of you.
I wish I was there to stop you to go to that neighbor.
I wish I could slap him the very first time he touched you.
I wish I could scream and tell what a pervert he is!!!!!!
I wish I could tell you "It's not your fault at all!! You are just a child. How would you know?"
I wish I could protect you, help you, loved you, healed you.... be there for you...