Sunday, April 13, 2025
Sunday, April 6, 2025
किसने तय किया?
किसने तय किया?
कि बैंक की जॉब Respectable होगी
और Call Centre की नहीं।
किसने तय किया कि दिन की जॉब सही होगी
और रात की नहीं।
किसने तय किया कि
हिरोइन का काम Respectable होगा
Background Dancer का नहीं?
किसने तय किया?
मुझे जो अच्छा लगे
वो मेरे लिए अच्छा नहीं?
तुम देखना
तुम देखना
एक दिन मैं भी बोलूंगी
अपनी कविताएँ
मंच पर
तालियां बजेंगी जमकर
Insta पर इतने ही views होंगे
1M से ज्यादा हर कविता पर!
तुम देखना...
Tuesday, April 1, 2025
मेरे हिस्से के लोग
मुझे भी मिल जाएंगे मेरे हिस्से के लोग
मैं भी परफॉर्म करूंगी देखना
Chika की तरह
Rj Princy की तरह
और उस लड़की जैसी
जो जावेद अख्तर से चर्चाएं करती है,
गजराज राव संग कविता पढ़ती है।
कपिल शर्मा शो पर आऊंगी
KBC में भी आमंत्रित की जाऊँगी
मोदी जी से सम्मान पाऊँगी
तुम देखना मेरी लिखी फ़िल्मों की भी बनेगी Filmography
Writer की जगह credits में मेरा नाम होगा।
मुझे भी मिल जाएंगे मेरे हिस्से के लोग!
Thursday, March 27, 2025
Rewind
!! Rewind !!
बाल सफ़ेद हो चुके होंगे
और कमर टेढ़ी!
न मैं तुम्हारी जुल्फों पर मरूंगी
न तुम मेरी चाल पर!
जब मैं होंगी 70 की
और तुम 71 के!
तब Rewind करेंगे
एक बार फिर..
उस दौर को
जब मैं थी 20 की
और तुम 21 के!
- मानबी
Poem by - Manabi Katoch
Movie - Ei Raat Tomar Aamar on Hoichoi TV @hoichoi.tv By @parambratachattopadhyay
Ft. - Anjan Dutta, Aparna Sen
Tuesday, March 25, 2025
मापदंड
हम औरतों को
पुरुषों की बुद्धिमत्ता के
मापदंड पर तौलते हैं।
पुरुषों को कभी नहीं तौलते
औरतों के हुनर के मापदंड पर।
पुरुष जैसा अधिकार पाने के लिए
एक स्त्री को समझना होता है क्रिकेट और फुटबॉल
जाननी होती है राजनीति की बातें
समान्य ज्ञान पर चर्चा करनी होती है
और ड्राइविंग आना अनिवार्य हो जाता है।
पुरुषों को किसी भी अधिकार को पाने के लिए
खाना बनाना नहीं सीखना होता।
ससुराल पक्ष के ताने चुपचाप सुनने की
ट्रेनिंग भी नहीं करनी पड़ती
त्योहारों के नियम नहीं आने पर
संस्कारों की कमी का आभास नहीं होता।
नहीं करनी होती है उन्हें ऑफिस में घर की
और घर में ऑफिस की चिंता।
HR नहीं भांपते उनके गर्भवती होने का साल
Maternity न देना पड़ जाए इस डर से
नहीं जाती उनकी नौकरी।
खाना खाने के बाद सीधा सुबह ऑफिस जाने की चिंता में सो सकते हैं पुरुष
नहीं सोचना होता उन्हें कि झूठे बर्तन, बासी खाने का क्या करें।
कोई तुलना नहीं है
पुरुषों को सोचना होती हैं सब बड़ी बड़ी बातें
घर का खर्च
बिटिया की पढ़ाई
परिवार की सुख सुविधा
माँ की बीमारी
सब बड़ी बातें
स्त्री छोटी छोटी बातों में उलझी होती है
कल का नाश्ता, मेड का न आना,
सास की दवा
बिटिया का टिफिन
त्यौहार का व्यंजन
मानवता की प्रगति
हम चार पांवों पर
चला करते थे
तरक्की की
दो पांवों पर चले
फिर तरक्की की
जानवरों पर लदकर चले
और तरक्की की
तो मशीनों को दौड़ा कर चले
थोड़ी और
अब आसमान को चीरकर चले
हिमालय पर पहुंचे
फिर चंद्रमा और मंगल पर भी
इन सभी चरणों में
मानव शरीर जितना ऊंचा चढ़ा
मानवता उतनी ही नीचे गिरती गई।
Saturday, March 22, 2025
तुलना
बाबा कभी कार नहीं चला पाए।
माँ भी।
माँ एक बार बीमारी के चलते
हवाई जहाज में बैठ पाई थीं
बाबा नहीं बैठ पाए कभी।
माँ का जब मन हो, जो मन हो
नहीं खरीद पाती थीं।
बाबा लंबी यात्राओं पर
नहीं जा पाए कभी।
मैं कार चला लेती हूँ।
दादा विदेश यात्राओं पर जाता है।
मन किया वो मंगाते है हम दोनों
खाना Zomato से
और सामान Amazon से।
फिर भी तुलना करते हैं
पड़ोसी से।
उसकी तुलना में कम है सब।
उसके माँ बाबा ने शायद कार चलायी थी
यात्राओं पर भी जाते थे।
Tuesday, March 18, 2025
पहली बार
उसे कितना अच्छा लगा होगा
जब पहली बार किसी ने
उसकी कविताओं को समझा होगा।
पहली बार हँसा नहीं होगा
पहली बार नहीं पूछा होगा
"इसमें छंद नहीं है?"
पहली बार कहा होगा
"कितना गहरा लिखते हो!"
"कितना अच्छा लिखते हो!"
पहली बार किताब छपवाने का
प्रस्ताव रखा होगा।
पहली बार कवि को जब
अपना पहला पाठक मिला होगा!
Sunday, March 16, 2025
अचार
पकवानों की महफ़िल में
अक्सर भूला दिए जाते हैं
पर मुश्किल दिनों में यही हैं जो
रूखी-सूखी को खाने लायक बनाते हैं
लड़ते झगड़ते
रूठते मनाते
हर हाल में साथ देते
खट्टे मीठे-तीखे
कुछ दोस्त अचार जैसे होते हैं!
अचार जीवन का सार है
खट्टा मीठा तीखा सब है!
Saturday, March 8, 2025
Credit
अब मान लेना अच्छा होगा कि यश नहीं मिलेगा किसी काम का।
पर काम करते रहना होगा, दूसरे को यश लेता हुआ देखते हुए!
आदत हो जाएगी धीरे-धीरे
और एक दिन आयेगा
जब बुरा नहीं लगेगा!
Tuesday, March 4, 2025
एक दिन अचानक
एक दिन अचानक उन्होंने मेरा हाथ पकड़कर चलना शुरू किया। मैं हमेशा से चाहती थी कि हम सड़क पर हाथ पकड़कर चला करें। पर वो हाथ छुड़ा लेते थे। उनकी embarrassment साफ़ नजर आतीं थी।
फिर मैंने हाथ पकड़कर चलने की चाहत छुड़ा ली।
लेकिन बहुत सालों बाद... एक दिन अचानक उन्होंने मेरा हाथ पकड़कर चलना शुरू किया। मुझे लगा थोड़ी देर में छोड़ देंगे। पर वो पूरे रास्ते पकड़े रहे।
इससे कुछ रोज़ पहले उन्होंने एक बड़ा दुःख दिया था। मैंने उसका ज़िक्र तक नहीं किया था। ये हाथ पकड़ना शायद उसी का इनाम था।
मुझे लगा ये अब शायद रहेगा... हमेशा... जैसा हमेशा से सोचा था।
पर दुःख हाथ पकड़ने के सुख से थोड़ा ज्यादा था। मैंने कह दिया कि दुःख है।
इनाम वापस ले लिया गया!
Friday, February 7, 2025
मैं कभी कुछ छोड़ नहीं पाया
मैं कभी कुछ छोड़ नहीं पाया!
इसलिए नहीं, कि मुझे उन जगहों से
उन व्यक्तियों से लगाव था
इसलिए, क्योंकि मेरे पास
जाने की कोई और जगह नहीं थी।
मेरी इस विवशता को वो जगह,
वो व्यक्ति जानता था।
इसलिए सम्मान के साथ
उस जगह, उस व्यक्ति के पास रहना,
वहीं साल दर साल रहते रहना,
दूभर हो गया।
फिर भी मैं कभी कुछ छोड़ नहीं पाया
इसलिए नहीं कि मुझे उन जगहों से
उन व्यक्तियों से लगाव था
इसलिए, क्योंकि मेरे पास
जाने की कोई और जगह नहीं थी।
Tuesday, January 21, 2025
You
I wish I could that stage of you again. You had this toy cart. You were so small and pretty and innocent. And I broke the bucket in front of you. I wish I could go back snd fix that.
Sunday, January 12, 2025
अभिनय
दर्शक बने रहना आसान नहीं है, ख़ासकर जब आपके पास ख़ुद करने के लिए कुछ भी न हो और आपके अगल-बगल इतने बेहतरीन अभिनेता अभिनय कर रहे हों।
यहां मैंने तय कर लिया था, जीवन में यदि दर्शक ही बने रहूँगा तो जो सब दिखाएंगे मुझे देखना पड़ेगा। सो मैंने एक लंबी साँस भीतर खींची और अभिनय की इस विराट दुनिया में मैं कूद गया!
- मानव कौल
ठीक तुम्हारे पीछे
Thursday, January 2, 2025
दोस्त
मैं चाहती थी, हम दोनों दोस्त होते। सबसे अच्छे दोस्त।
पर सबसे अच्छे दोस्त से आप जो दिल करे कह सकते हैं। हम नहीं कह पाए। हम दोस्त नहीं बन पाए।
मैं एक कविता लिखना चाहती हूँ
मैं एक कविता लिखना चाहती हूँ
जो छप जाए अखबारों में
इतनी प्रतियां बिके उसकी
कि काम आए मजारों में
मैं एक कहानी लिखना चाहती हूँ
जिसकी बन जाए पिक्चर
सिनेमा घरों में भीड़ लगे
मैं कुछ ऐसा लिखना चाहती हूँ
कि नाम जाने दुनिया सारी
और मेरे घर आनेवाला हर मेहमान
माँ से पूछे
माँ जिस दिन कहेगी
तू इतनी बड़ी Writer है
पर हमने घमंड नहीं किया
उस दिन
तुम्हें छूना चाहती हूँ
पर तुम तो कितने सुंदर हो?
तुम्हें छूने के लिए सुंदर होना होगा न?
लिखो 1
2 जनवरी 2025
8:03 pm
हिन्दी में मोबाइल पर लिखना इतना आसान है क्या?
बीता साल हार का साल रहा।
डॉ Ishita ने मेरे उस confidence को हरा दिया कि कोई गलत करेगा तो मैं लड़ सकती हूँ।
मुझे लगा कि वो ताकतवर है। ladungi तो हार जाऊँगी। जैसे अभी अभी इस की-बोर्ड से हारी हूँ जो ladungi नहीं लिखना जानता।
Datta से जीती पर संचारी से हार गई।
और अब लड़ने की ताकत ही नहीं रही।
जब मेहनत का सारा फल उसी को छीनना है तो मेहनत का क्या फायदा।
जब चीख चीख कर गलत को गलत बताने पर आपको ही पागल करार कर दिया जाए तो शांत रहकर सभ्य समझे जाने में ही भलाई है।
मुझे ये नौकरी 3 साल और चलानी है।
जब तक मिष्टी कहीं सेट न हो जाए और मेरे इंश्योरेंस के पैसे न चुक जाए।
कभी कभी सोचती हूँ कितना आसान है संचारी के लिए। एक IAS officer की बेटी है। अच्छी खासी प्रॉपर्टी है।
Presentation skill इतना शानदार कि किसी का भी idea चुराकर अपना बता दे।
और अनु... उसे न्याय अन्याय से क्या लेना देना। बस नाम होना चाहिए।
आज मेरी बारी है। कल तेरी होगी संचारी। कोई न कोई तो आयेगा तेरी करतूतों पर पानी फेरने । उस दिन भी न्याय नहीं होगा।
मैं उस दिन रहना नहीं चाहती।
डॉ Ishita को भी हारते देखना चाहती थी मैं। फिर खुद ही डर कर बैठ गयी।
लिखना चाहती हूँ। कुछ ऐसा जिसे पढ़कर मानव कौल का फोन आ जाए।
एक कहानी जिसे लिखने के बाद माँ को मुझपर दादा से थोड़ा ज्यादा अभिमान हो जाए।
एक ऐसा गीत जो मिष्टी भी गुनगुनाए।
टीवी की स्क्रीन पर नाम हो
Writer - Manabi Katoch
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