2 जनवरी 2025
8:03 pm
हिन्दी में मोबाइल पर लिखना इतना आसान है क्या?
बीता साल हार का साल रहा।
डॉ Ishita ने मेरे उस confidence को हरा दिया कि कोई गलत करेगा तो मैं लड़ सकती हूँ।
मुझे लगा कि वो ताकतवर है। ladungi तो हार जाऊँगी। जैसे अभी अभी इस की-बोर्ड से हारी हूँ जो ladungi नहीं लिखना जानता।
Datta से जीती पर संचारी से हार गई।
और अब लड़ने की ताकत ही नहीं रही।
जब मेहनत का सारा फल उसी को छीनना है तो मेहनत का क्या फायदा।
जब चीख चीख कर गलत को गलत बताने पर आपको ही पागल करार कर दिया जाए तो शांत रहकर सभ्य समझे जाने में ही भलाई है।
मुझे ये नौकरी 3 साल और चलानी है।
जब तक मिष्टी कहीं सेट न हो जाए और मेरे इंश्योरेंस के पैसे न चुक जाए।
कभी कभी सोचती हूँ कितना आसान है संचारी के लिए। एक IAS officer की बेटी है। अच्छी खासी प्रॉपर्टी है।
Presentation skill इतना शानदार कि किसी का भी idea चुराकर अपना बता दे।
और अनु... उसे न्याय अन्याय से क्या लेना देना। बस नाम होना चाहिए।
आज मेरी बारी है। कल तेरी होगी संचारी। कोई न कोई तो आयेगा तेरी करतूतों पर पानी फेरने । उस दिन भी न्याय नहीं होगा।
मैं उस दिन रहना नहीं चाहती।
डॉ Ishita को भी हारते देखना चाहती थी मैं। फिर खुद ही डर कर बैठ गयी।
लिखना चाहती हूँ। कुछ ऐसा जिसे पढ़कर मानव कौल का फोन आ जाए।
एक कहानी जिसे लिखने के बाद माँ को मुझपर दादा से थोड़ा ज्यादा अभिमान हो जाए।
एक ऐसा गीत जो मिष्टी भी गुनगुनाए।
टीवी की स्क्रीन पर नाम हो
Writer - Manabi Katoch
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