झूठा सम्मान
झूठा लाड
झूठी फिक्र
झूठी हंसी
झूठ-मूठ का रिश्ता।
जैसे नाटक हो कोई
पात्र हों हम उसके
शुरू-शुरू में अच्छा लगता था
नया-नया था नाटक
फिर रोज की बात हो गई।
ऊब आने लगी।
साँस फूलने लगती है अब।
पर्दा गिरे और साँस लूँ।
तुम पर्दा नहीं गिराते
खेल जारी रखते हो
दर्शक जानते हैं सब झूठ है
पात्र जानते हैं सब झूठ है
पर टिकटें फिर भी बिकती हैं
हर रोज़ वही शो
साँस....
साँस...
दर्शक को लगता है
ये भी झूठ है
किसी को पता नहीं चलता
हत्या हो गई।
पर्दा नहीं गिरता
तुम नाटक जारी रखते हो।
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