Friday, March 8, 2024

छूट गया...

कविताएँ लिखना 
अच्छा लगता था,
पर छूट गया..

स्टेज, परफॉर्मेंस,
ऑडियंस, तालियाँ,
मंच पर बोलना,
अच्छा लगता था,
पर छूट गया...

फिर...
कहानी लिखने लगी।  

लोगों से बातें करना,
उनकी बातों को 
शब्दों में पिरोना,
कहानी लिखना,
अच्छा लगने लगा,
पर छूट गया। 

फिर...
तरक्की मिल गई। 

लोगों की कमियां गिनाना, 
गलतियां निकालना,
कभी-कभी डांट भी देना,
अच्छा नहीं लगता था...
पर छूटा नहीं...

क्योंकि..
तरक्की के इन पैसों से
बिटिया की फरमाइशें पूरी करना,
माँ को साड़ी दिलाना,
बाबा का इलाज करवाना,
अच्छा लगता है।

इसलिए..
अपने मन का करना,
कविता लिखना,
मंच पर बोलना,
कहानी सुनना,
कहानी लिखना ...

सब छूट गया!

- मानबी 

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