Tuesday, November 3, 2020

अचानक

अचानक सब मिलने लगता है। मान्यता, पहचान...
समय, संज्ञान... उनके बीच अब तुम उन जैसा बोध करते हो। उन जैसा होने में और उनमें से एक होने में अंतर है ये भूलने ही लगते हो... और फिर... उनमें से एक तुम्हें ज्ञात कराए देता है तुम्हारा स्थान!
अचानक सब धुलने लगता है।

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