Saturday, November 7, 2020

धूमिल

धूमिल होता क्षितिज
जैसे धरती आकाश से मिलती ही न हो

दूर तलक दिशाहीन दृष्टि।

कभी गंतव्य तक 
न पहुंच पाने की थकान।

खालीपन से भरी हार की उपेक्षा करती
उत्सव में व्यस्त जीत।

उबटन लगातीं स्त्रियां।
अंतिम संस्कार की लकड़ियां।

भरे पेट की नींद
भूख की खुली आंखें

साड़ी, गहने, लाली, बिंदी
एक फटी चादर






 


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