Friday, June 15, 2018

10 signs that show....

पिछले दिनों मेरी एक निकटतम सहेली ने व्हाट्सएप ग्रुप पर एक वीडियो भेजा। शीर्षक था, '18 signs that show you are a matured person'.
सभी सहेलियों ने उसे देखा और मायूस हुई कि वे उतनी matured नही है जितना अपने आप को अब तक समझती आयी थीं।
कुछ को शायद यह भी लगा कि वो शत प्रतिशत matured है इन pointers के हिसाब से।
पर मैं ये सोचती रह गयी कि क्या हर किसी भाव या विचार को हम pointers की तराज़ू पर तौल सकते हैं?

क्या किसी भी व्यक्ति विशेष के व्यक्तिमत्व को चुनिंदा भावनाओं पर आधारित किया जा सकता है?

मानव मन असीम भावनाओं से भरा होता है। मैं अपनी कहूँ तो कभी मुझे छोटी सी बात पर ही किसीसे खिंचाव हो जाता है तो कभी बड़ी से बड़ी वेदना देने वाला भी मेरी नज़रों में अपनी जगह बनाये रखता है।
कभी किसी के स्वभाव से उस व्यक्ति से ही घिन हो जाती है, तो कभी इसी तरह के व्यक्ति को समझने की गूढ़ता मुझमे न जाने कहाँ से आ जाती है।

क्या इतना सरल है 10 या 20 तथ्यों से यह तय करना कि आप समझदार है, उल्लू के पट्ठे है या कुछ भी नही है?

ऐसे ही pointers और वीडियोज़ आजकल प्रेम के लिए, ईर्ष्या के लिए और हर उस भावना के लिए लिखे जाते हैं, जो हमे आत्म ग्लानि के अलावा कुछ नही देते।
पर फिर आत्म आंकलन का क्या?

यदि आप अपने भीतर झांककर यह नही बता सकते कि आप क्या है, तो इतनी बुद्धि का क्या अचार डाला जाए?

यदि कोई आपसे कोसों मील दूर बैठकर आपके बारे में 10 बातें लिख, आपको आपके ही बारे में फ़ैसला सुनाए तो आपका अस्तित्व सवालिया नही है?

जीवन बदलाव का दूसरा नाम है। हर चीज़ बदलती है। आपका स्वभाव, आपकी इच्छाएं, आपकी सोच....कुछ भी स्थाई नही है।

और यही तो मज़ेदार बनाती है जिंदगी को। हर व्यक्ति अलग....हर किसी की सोच अलग...जीने का ढंग...रवायतें, अरमान, सुख, दुख, खुशियां और हालात भी अलग!!!
फिर क्यों रखे कोई तराज़ू किसी भी बदलती हुई चीज़ को तौलने के लिए?

क्यों बांधे किसी के स्वभाव, सोच या व्यक्तिमत्व को 10 या 20 pointers में?

बस जैसे हैं वैसे स्वयं को अपनाए.... आज में खुलकर जिये ...कल के बदलाव का जश्न मनाए और जीवन नामक ईश्वर की इस ख़ूबसूरत देन को दोनों हाथों से गले लगाएं....

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