Thursday, April 15, 2021

बंधन

अस्पताल में beds नहीं हैं। लोग पहले से दोगुनी तेज़ी से मर रहे हैं। पहले वेव में बच्चे सुरक्षित थे। अब बच्चों को भी नहीं बक्शा जा रहा। मानो कोई धाक लगाकर बैठा हो। पहले वार में जब लोगों ने हिम्मत नहीं हारी, तो एक नई stretagy बनाई गई। बच्चे! इंसान के लिए अपने बच्चे से बढ़कर कुछ नहीं। तो बच्चों पर हमला करते हैं। इस बार लगता है इंसान टूट ही जायेगा। एक बार फिर नीचे जाना मना है। पार्क खाली है। वही खौफनाक शांति!
इस एक साल में घर में कैद रहकर हर किसी ने openly कहा कि बस! अब नहीं होता। कुछ तो, 'जो होगा देखी जाएगी' कहकर निकल भी पड़े। घूम फिरकर आ भी गए और जो घर में डरकर बैठे थे, वे और कमज़ोर हो गए। शरीर से नहीं, मन से!
यहीं से लगा कि बंधकर रहना किसे अच्छा लगता है। पर बंधन से निकलने के लिए risk तो लेना पड़ता है बॉस! क्योंकि रिस्क है तो... जी हां .. सही समझे आप बॉस... Risk लेंगे तभी तो जिंदगी से इस्क कर पाएंगे।
तो अगर थक गए हैं बॉस की चाटू नौकरी करते करते तो उसे टाटा bye bye कहने का रिस्क लेकर तो देखिए। बोर हो गए हैं रोज़ वही खाना खाकर तो घर पर समोसे बनाकर तो देखिए। और पक गए हैं सास की फरमाइश पूरी करते करते तो एक बार ना कहकर तो देखिए। हटा दीजिए भविष्य के झोल मोल सपने दिखाने वाली अंगूठियों को। सोम मंगल बुध शुक्र जिस दिन मन करे, खा लीजिए नॉनवेज। जो आपके मन का खाने या जीने से नाराज हो जाए, वो न तो बड़ा हो सकता है न भगवान। सो एक बार अपने इस भगवान को अकेला छोड़कर तो देखिए।

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