Friday, May 18, 2018

मंटो

कल ही कर्नाटक में सियासी खेल देखकर आदि ने कहा.... "अब तो कोई ईमान ही नही रह गया किसी का। यही तो फर्क है वाजपेयी और इनमें। खरीद- फ़रोख की सरकार बनेगी....बनेगी भी तो...."

मैने ताज़ा -ताज़ा मंटो की कहानी पढ़ी थी....कहा, "काश मंटो होता...सब कच्चा चिट्ठा साफ साफ लिख देता...."

कई बार मंटो के बारे में पढ़ते हुए मैं सोचा करती हूं...कि कितना अच्छा होता कि वो आज के दौर में पैदा हुआ होता...इतनी बेकदरी न हुई होती उसकी। आज इंटरनेट हैं...सैंकड़ो वेबसाइट है...कुछ नही तो उसका अपना ब्लॉग ही हिट होता...
प्रकाशकों के चक्कर न कांटने पड़ते....बेवजह ज़िल्लतें न झेलनी पड़ती।।

पर फिर अगले ही पल सोचती हूँ...आज के दौर में भी होता तो क्या उखाड़ लेता....अपना ब्लॉग लिखता ...और उसी तरह बेबाक लिखता तो आज भी धर लिया जाता....बल्कि क्या पता जितना जिया, उतना भी न जी पता....पहले लेख के बाद ही क़त्ल कर दिया जाता।

किसी वेबसाइट के लिए लिखता.... हहहह  ...तो मशीन बना दिया जाता....'जो कहा है वही लिखो....जितना कहा जाए उतना ही लिखो....तुम्हे ये लिखना है या नही इससे हमें कोई सरोकार नही....अगर हम कहते है कि लिखो...तो लिखो...'

'अपने मन का लिखना चाहते हो तो जाओ अपना ब्लॉग लिखो जहां मक्खी भी न भिनभिनाएँ..... यहां लिखना है तो ट्रेंडिंग टॉपिक पर लिखो....सही-गलत... माय फुट....आधे घंटे में कहानी तैयार होनी चाहिए...

तुम्हे तनख्वाह अच्छा लिखने के लिए नही, दुनिया से हटकर सोचने के लिए नही... नंबर्स लाने के लिए दी जाती है....
समाज ? उससे हमें क्या लेना देना....हम नंबर्स के लिए लिखते है....लाइक्स, शेयर्स, कमैंट्स....उसीसे ये एसी वाला कमरा आता है....उसीसे ये ब्रांडेड टी-शर्ट आती है... उसीसे से नई गाड़ी का ईएमआई आता है'

.....और मंटो दूसरों की सोच के हिसाब से ट्रेंडिंग टॉपिक पर आधे घंटे में ताज़ा खबर सबसे तेज़ लिखने वाला मशीन बन जाता।

मंटो कहता था....वो कहानियों को नहीं बल्कि कहानियां उसे लिखती हैं.....

अच्छा है कि मंटो आज नही है....वर्ना नंबर्स के लिए लिखी इन कहानियों से बना मंटो...नाकाबिल-ए-बर्दाश्त होता....

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