Tuesday, January 21, 2025
You
I wish I could that stage of you again. You had this toy cart. You were so small and pretty and innocent. And I broke the bucket in front of you. I wish I could go back snd fix that.
Sunday, January 12, 2025
अभिनय
दर्शक बने रहना आसान नहीं है, ख़ासकर जब आपके पास ख़ुद करने के लिए कुछ भी न हो और आपके अगल-बगल इतने बेहतरीन अभिनेता अभिनय कर रहे हों।
यहां मैंने तय कर लिया था, जीवन में यदि दर्शक ही बने रहूँगा तो जो सब दिखाएंगे मुझे देखना पड़ेगा। सो मैंने एक लंबी साँस भीतर खींची और अभिनय की इस विराट दुनिया में मैं कूद गया!
- मानव कौल
ठीक तुम्हारे पीछे
Thursday, January 2, 2025
दोस्त
मैं चाहती थी, हम दोनों दोस्त होते। सबसे अच्छे दोस्त।
पर सबसे अच्छे दोस्त से आप जो दिल करे कह सकते हैं। हम नहीं कह पाए। हम दोस्त नहीं बन पाए।
मैं एक कविता लिखना चाहती हूँ
मैं एक कविता लिखना चाहती हूँ
जो छप जाए अखबारों में
इतनी प्रतियां बिके उसकी
कि काम आए मजारों में
मैं एक कहानी लिखना चाहती हूँ
जिसकी बन जाए पिक्चर
सिनेमा घरों में भीड़ लगे
मैं कुछ ऐसा लिखना चाहती हूँ
कि नाम जाने दुनिया सारी
और मेरे घर आनेवाला हर मेहमान
माँ से पूछे
माँ जिस दिन कहेगी
तू इतनी बड़ी Writer है
पर हमने घमंड नहीं किया
उस दिन
तुम्हें छूना चाहती हूँ
पर तुम तो कितने सुंदर हो?
तुम्हें छूने के लिए सुंदर होना होगा न?
लिखो 1
2 जनवरी 2025
8:03 pm
हिन्दी में मोबाइल पर लिखना इतना आसान है क्या?
बीता साल हार का साल रहा।
डॉ Ishita ने मेरे उस confidence को हरा दिया कि कोई गलत करेगा तो मैं लड़ सकती हूँ।
मुझे लगा कि वो ताकतवर है। ladungi तो हार जाऊँगी। जैसे अभी अभी इस की-बोर्ड से हारी हूँ जो ladungi नहीं लिखना जानता।
Datta से जीती पर संचारी से हार गई।
और अब लड़ने की ताकत ही नहीं रही।
जब मेहनत का सारा फल उसी को छीनना है तो मेहनत का क्या फायदा।
जब चीख चीख कर गलत को गलत बताने पर आपको ही पागल करार कर दिया जाए तो शांत रहकर सभ्य समझे जाने में ही भलाई है।
मुझे ये नौकरी 3 साल और चलानी है।
जब तक मिष्टी कहीं सेट न हो जाए और मेरे इंश्योरेंस के पैसे न चुक जाए।
कभी कभी सोचती हूँ कितना आसान है संचारी के लिए। एक IAS officer की बेटी है। अच्छी खासी प्रॉपर्टी है।
Presentation skill इतना शानदार कि किसी का भी idea चुराकर अपना बता दे।
और अनु... उसे न्याय अन्याय से क्या लेना देना। बस नाम होना चाहिए।
आज मेरी बारी है। कल तेरी होगी संचारी। कोई न कोई तो आयेगा तेरी करतूतों पर पानी फेरने । उस दिन भी न्याय नहीं होगा।
मैं उस दिन रहना नहीं चाहती।
डॉ Ishita को भी हारते देखना चाहती थी मैं। फिर खुद ही डर कर बैठ गयी।
लिखना चाहती हूँ। कुछ ऐसा जिसे पढ़कर मानव कौल का फोन आ जाए।
एक कहानी जिसे लिखने के बाद माँ को मुझपर दादा से थोड़ा ज्यादा अभिमान हो जाए।
एक ऐसा गीत जो मिष्टी भी गुनगुनाए।
टीवी की स्क्रीन पर नाम हो
Writer - Manabi Katoch
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