Monday, July 13, 2020

जीवन बीत गया।

मैं बहुत कुछ लिख सकती थी,
कवि, शायरा, लेखिका बन सकती थी,
और फिर... कमरे की सफाई 
और महीने की कमाई में 
जीवन बीत गया!

मैं किताबें पढ़ सकती थी,
उपन्यास रच सकती थी,
इतिहास लिखकर, 
इतिहास रच सकती थी,
और फिर.... 
मोबाइल के मोह में,
और टी वी की टोह में
जीवन बीत गया।

मैं आज़ाद हो सकती थी,
अपना अनाज, अपनी तकनीक,
अपना सामान खुद बना सकती थी,
और फिर..
चीन के सस्ते माल,
और अमरीका के बवाल के चक्कर में
जीवन बीत गया।

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