वो किसी और भाभी की बात मुझे बता रही थी,
कि कैसे पहले वह उसे रात के खाने के लिए बुलाती थीं और फिर सुबह खाना बनवाने लगी ताकि रात का भी बनवा सके।
मुझे लगा वो मुझे ही सुनाने के लिए ये बात बता रही है।
मैं उसकी पूरी बात सुनने से पहले ही भड़क गई कि "मुझे क्यों बता रही हो ये सब? क्या करूँ मैं इस information का? जिनसे शिकायत है उन्हें बताओ या अगर मुझसे शिकायत है तो सीधा मुझे बताओ। किसी और की कहानी बताकर मुझे क्या बताने की कोशिश कर रही हो? ये जो तुम उधर की बात इधर कर रही हो ये उनसे ज्यादा तुम्हारे बारे में बताता है। "
मैंने ज्ञान तो दे दिया लेकिन फिर लगा कि मैं भी तो करती हूं ये! किसी और से किसी और की शिकायत करके हासिल भी क्या होता है? क्या हमें जिससे शिकायत है उसी से सीधे उसकी शिकायत नहीं करनी चाहिए? या फिर कम से कम उससे जिसके हाथ में न्याय करने का अधिकार हो। किसी को भी कुछ भी बताकर क्या फायदा? पर हम करते हैं ऐसा!
No comments:
Post a Comment