Friday, August 29, 2025

Sorabh kitna achcha lilkhta hai

Sorabh kitna achcha lilkhta hai.
Use likhna achcha lagta hai 
toh wo achcha likhta hai.
Seo nahi karta. Algorithm nahi dekhta.
Jahan duniya relatibility ke peeche bhaag rahi hai, kehta hai - Don't be relatable.
Relatable likhte rahoge to sabun ki factory ban jaoge.
Artist ho Paiso ke peeche mat bhago. Ambani ban jaoge.
Haan ghar isse chalta hai
Par jeevan kaise chalaoge
Art kho doge to jeena bhool jaoge 
Practical nahi hai.. par achchi batein karta hai
Sourabh kitna achcha likhta hai..

Thursday, August 28, 2025

Confusion

पागल लगता है मुझे ये आदमी, पर दुनिया को अच्छा लगता है। तो कहीं अच्छा ही तो नहीं है?

Art

वो आर्ट की कदर करता है 
कहता है Algorithm मत देखो 
Marketing मत सीखो 
Relatable मत लगो

कैसे फेमस हो पाएगा?
Timeline पर कैसे आएगा?
Viral कैसे हो जाएगा?

बस Artist बनकर रह जाएगा!


Wednesday, August 27, 2025

Day 1

Gym se nikle 6 dost. Thahake lagate huye. Kisi baat par behas karte huye. Sabki kahaniys alag. Sabke sapne alag .. sabki zimmedariya alag... fir bhi ye samay bilkul ek jaisa.
Is waqt inki biwiyan kya kar rahi hongi?
Bachche ka tiffin bana rahi hongi, unhe taiyar karke unka haath pakadkar bus tak bhag rahi hongi. Wapas aakar in 6 ka tiffin bana rahi hongi jo puchle aadhe ghante se is leisure time ke maze le rahe hain.
Ek be apni stylish bike on kar li hai.. ab ye wapas ghar pahochenge to inki biwiya inhe nashta parosengi.
Ye jaldi jaldi taiyar honge aur biwi ko bhi jaldi karne ki hidayat denge kyuki aaj der ho gayi. Kyu hui... ye biwiyo ko kaun bataye.
Pati office chale jayenge to wo ghar sametengi etc etc....

Isi beech yaha koi chomu yaha full volume me videos dekh raha hai.
Ohh main to ye batana hi bhool gayi ki main aaj ghar ke saamne wale tea post me nashta karne aa gayi.
Achcha lag raha hai... kuch different. But is chomu ki wajah se mood ki lag gayi!

Tuesday, August 26, 2025

बाज़ार

एक बूढ़ा आदमी है जिसके पास तजुर्बा है 
एक बूढ़ी औरत, जिसके पास बरसों का शोषण 
एक जवान लड़की ने एहतियात बिछा रखा है
जवान लड़का priviledge
छोटी बच्ची ने उम्मीदें 
और छोटे बच्चे ने अभिमान 
जिसे जो मिला अब तक उसकी दुकान लगा रखी है सबने
बाजार है ये पाए हुए तोहफो का 

Sunday, August 24, 2025

Goa

मानव कौल यात्राओं पर निकल जाते हैं और हर यात्रा के अलग अलग अनुभव से एक उपन्यास लिख देते हैं। 
गोवा से आकर लगा कि क्या मैं ऐसा कुछ लिख सकती थी रोज़ वहाँ? जो उपन्यास बन जाता। 
दादा के birthday के लिए गई थी। 20 अगस्त की रात को पहुंची। 21 अगस्त को सुबह साई मंदिर में पूजा हुई फिर हम एक old age home गए। अच्छा लगा। कुछ ही बुजुर्ग बाहर आए। जो इसे चलाती हैं उनकी माँ ने बताय कि करीब 26-27 साल पहले उन्हें कैंसर हो गया था। डॉक्टर बेटी ने प्रण लिया कि माँ ठीक हो जाएगी तो एक वृद्धाश्रम खोलेगी और माँ के ठीक होने पर वादा निभाया। आज तक निभा रही है। इसी वृद्धाश्रम में ऐसे बुजुर्ग है जिन्हें उनके बच्चे दिन-त्यौहार पर भी लेने नहीं आते। जब वो सुनते होंगे इस वृद्धाश्रम के गढ़ने की कहानी तो दुःख होता होगा न? कि काश डॉक्टर कालरा की माँ जैसी किस्मत होती उनकी भी। 
क्या उनकी अवहेलना के पीछे बस यही कारण है कि उनके बच्चे heartless हैं या उनकी भी कोई कहानी है?
मैं बैठकर उनसे घंटों बात करना चाहती थी। उनकी कहानियां लिखना चाहती थी। 
अगले दिन हम Benaulim Beach गए थे। वहाँ मछुआरों ने बहुत बड़ा जाल बिछा रखा था। शुरू में लगा जैसे कोई Anchor जैसी चीज खींच रहे हो। पर करीब 2 घंटे और 15-20 लोगों की कड़ी मशक्कत के बाद जाल धीरे धीरे नजर आने लगा। शुरू में इक्की दुक्की मछलियां दिखी। पर फिर केकड़े निकले और पूरा जाल बाहर आने पर सैंकड़ों मछलियां, केकड़े, स्टार फिश, यहां तक कि सांप भी निकल आया। 
हमें किसी ने दो केकड़े दिए। वो बंगाली था। 
बहुत नया और मजेदार अनुभव था। 
पर उन लोगों के लिए होगा ये अनुभव मजेदार?
गोवा में रहकर वो यहां के मजे नहीं लेते, आजीविका कमाते हैं। 
Airport पर बाथरूम ड्यूटी पर दो महिलाएं थीं। night shift थी उनकी। रातभर वो गोवा में होंगी, मगर एक बाथरूम में। 

Goa

मानव कौल यात्राओं पर निकल जाते हैं और हर यात्रा के अलग अलग अनुभव से एक उपन्यास लिख देते हैं। 
गोवा से आकर लगा कि क्या मैं ऐसा कुछ लिख सकती थी रोज़ वहाँ? जो उपन्यास बन जाता। 
दादा के birthday के लिए गई थी। 20 अगस्त की रात को पहुंची। 21 अगस्त को सुबह साई मंदिर में पूजा हुई फिर हम एक old age home गए। अच्छा लगा। कुछ ही बुजुर्ग बाहर आए। जो इसे चलाती हैं उनकी माँ ने बताय कि करीब 26-27 साल पहले उन्हें कैंसर हो गया था। डॉक्टर बेटी ने प्रण लिया कि माँ ठीक हो जाएगी तो एक वृद्धाश्रम खोलेगी और माँ के ठीक होने पर वादा निभाया। आज तक निभा रही है। इसी वृद्धाश्रम में ऐसे बुजुर्ग है जिन्हें उनके बच्चे दिन-त्यौहार पर भी लेने नहीं आते। जब वो सुनते होंगे इस वृद्धाश्रम के गढ़ने की कहानी तो दुःख होता होगा न? कि काश डॉक्टर कालरा की माँ जैसी किस्मत होती उनकी भी। 
क्या उनकी अवहेलना के पीछे बस यही कारण है कि उनके बच्चे heartless हैं या उनकी भी कोई कहानी है?
मैं बैठकर उनसे घंटों बात करना चाहती थी। उनकी कहानियां लिखना चाहती थी। 
अगले दिन हम benolim

Tuesday, August 19, 2025

अलविदा

दोस्तों अलविदा कहता हूँ 
जाना तो नहीं था 
मगर चला जाता हूँ 
दोस्तों अब... अलविदा कहता हूँ!

Renu

मैंने कल रेणु को बहुत डांटा।
वो किसी और भाभी की बात मुझे बता रही थी, 
कि कैसे पहले वह उसे रात के खाने के लिए बुलाती थीं और फिर सुबह खाना बनवाने लगी ताकि रात का भी बनवा सके। 
मुझे लगा वो मुझे ही सुनाने के लिए ये बात बता रही है। 
मैं उसकी पूरी बात सुनने से पहले ही भड़क गई कि "मुझे क्यों बता रही हो ये सब? क्या करूँ मैं इस information का? जिनसे शिकायत है उन्हें बताओ या अगर मुझसे शिकायत है तो सीधा मुझे बताओ। किसी और की कहानी बताकर मुझे क्या बताने की कोशिश कर रही हो? ये जो तुम उधर की बात इधर कर रही हो ये उनसे ज्यादा तुम्हारे बारे में बताता है। "
मैंने ज्ञान तो दे दिया लेकिन फिर लगा कि मैं भी तो करती हूं ये! किसी और से किसी और की शिकायत करके हासिल भी क्या होता है? क्या हमें जिससे शिकायत है उसी से सीधे उसकी शिकायत नहीं करनी चाहिए? या फिर कम से कम उससे जिसके हाथ में न्याय करने का अधिकार हो। किसी को भी कुछ भी बताकर क्या फायदा? पर हम करते हैं ऐसा!

Goa

20 अगस्त 2025
6:49 AM
आज मैं Goa जा रही हूँ। 
अचानक सोचा जाकर भाभी से पूछूँगी -
क्या शोना को पिकू से कुछ कम मिला?
मिला ही होगा कम?
पहले बच्चे के समय कहाँ इतने सक्षम होते हो आप कि 
सबकुछ दे पाओ उसे - Financially भी और Emotionally भी!
Emotionally- पता नहीं। लिखते लिखते ही लगा कि Emotionally तो आप drain हो चुके होते हैं दूसरे बच्चे के आने तक शायद? नहीं?
खैर, पर अक्सर Financially को ज्यादा तवज्जो दी जाती है। 
तो क्या अब भी और आगे भी शोना से यही सहानुभूति हमेशा रहेगी कि उसे कम मिला?
क्या उसके संघर्ष हमेशा बड़े आंके जाएंगे?
माँ क्या हमेशा दादा को ही.....

हर सुबह

हर सुबह उठकर मैं दूसरों के लिखे अफ़साने पढ़ती हूँ 
दूसरों की कामयाबी के किस्से 
दूसरों के सपनों की दास्ताने सुनती हूँ। 

वो कहते हैं लिखो, रोज़ लिखो 
मैं बस सोचती हूँ 
एक दिन लिखूँगी 
उनके जैसा अच्छा लिखूँगी 
Madison Square Garden के मंच पर 
Perform करूंगी 

"सफ़ीना के बिना मेरी जिंदगी
बिना बचपन के बड़े हो जाने जैसी है।"

- ऐसा लिखूँगी 
जिससे वर्षों बाद लोग Reel बनाएंगे। 
लेखक के लिए कहेंगे-
वाह क्या लिखा है- मैं भी एक दिन ऐसा ही लिखूँगी 
Madison Square Garden के मंच पर Perform करूंगी!

Sunday, August 10, 2025

Artist

एक artist को क्या चाहिए होता है। सिर्फ सराहना। भीड़। तालियां।