Thursday, June 29, 2017

बेरुखी

सालो की बेरुखी के बाद...
तुम एक दिन अचानक बदल जाते हो।
बोतल में पानी से लेकर
रिश्तों में आई दरार भी भरने लगते हो।
अपना बिस्तर ठीक करते हो
बिटिया के लिए नाश्ता रेडी रखते हो
और यहां तक की खाना खाकर सीधे लेट नही जाते
किचन में काम खत्म होने तक मेरे साथ रहते हो।
संडे को कपड़े मशीन में याद से डालते हो
और फिर बिना कहे सुखाने भी लगते हो।
और जब धीरे धीरे मैं दुबारा मुस्कुराना सीख जाती हूँ
तो तुम दुबारा बेरुखे हो जाते हो....
अब फिर एक बार बोतलों में पानी मैं ही भरने लगी हूँ
रिश्तों के बीच की खाई में गिरने से डरने लगी हूँ।

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