आज फिर लगा कि बर्तन तो कर लुंगी पर झाड़ू पोछा करने लगी तो देर हो जाएगी। सो बाज़ार से सामान लाते लाते मैने सिक्योरिटी केबिन में एक बार फिर किसीको काम के लिए भेजने की दरख्वास्त लिखवा दी।
अभी मैं बर्तन कर ही रही थी कि घंटी बजी..
नई सहायक हाज़िर थी। उसने सलीके से झाड़ू पोछा किया और करते करते मेरी परमनेंट सहायक की बुराई भी की, कि आपने जिसे भी रखा है वो ठीक से काम नही करती..कितना कचरा निकला बापरे...
मैने मुस्कुराकर टाल दिया और उसका नाम पूछा।
जवाब आया - आरवी!
आम तौर पर जो भी काम करने आती है उनका नाम कुछ सीधा साधा सा होता है, जैसे रेणु, लक्ष्मी, अनिता, संगीता....पर आरवी ...लगता था जैसे उसके माँ बाप ने बहुत सोचकर...ढूंढकर...बड़े प्यार से ये नाम रखा होगा।
क्या नाम रखते वक़्त उन्होंने सोचा था कि ये नाम इस तरह इस्तेमाल होगा..." आरवी बालकनी में भी पोछा लगा देना", कहते हुए मैंने सोचा....
Tuesday, May 9, 2017
घरेलू सहायक 2 - आरवी
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