Sunday, February 21, 2016

Anne Frank- The Diary of a young girl!

Anne Frank - एक ऐसा नाम जो कई दिनों तक मेरे दिलों दिमाग पर हावी रहा। एनी की डायरी किसी भी आम लड़की की डायरी की तरह ही थी। मुझे याद है मेरी एक दोस्त ने इसे पढ़ने के बाद कहा था कि पढ़ते वक़्त उसे लगता था कि वो किट्टी है। पर एनी की डायरी पढ़ते हुए मुझे कई बार ..बल्कि हर बार यही लगता कि मैं ही एनी हूँ। बचपन में मैं भी इसी तरह डायरी लिखती। माँ से नाराज़ होने की बाते लिखती। अपनी सोच , अपने सपनो को उन पन्नों पर संजोती। फर्क सिर्फ इतना है कि एनी की डायरी उसके मृत्यु के बाद मिली और मेरी... मेरे ज़िंदा रहते हुए ही पकड़ी गयी। और इसीलिये एनी की डायरी अमर हो गयी और मेरी इतिहास बन गयी।
खैर... एनी की डायरी पढ़ने पर हो सकता है आपको और कुछ महसूस न हो सिवाय एक 13 साल की लड़की के बिना किसी दोष के छुपकर रहने की घुटन के।  पर एनी की डायरी के साथ साथ आपको वो भी पढ़ना चाहिए जो उसके हायडिंग में रहते हुए बाहर हो रहा था और वो भी जो उसके डायरी के आखरी पन्ने को लिखने के बाद हुआ।
एनी और उसके निर्दोष परिवार को इसके बाद कंसंट्रेशन कैंप में ले जाया गया। उसने अपने पिता को इसके बाद फिर कभी नहीं देखा। उसे, उसकी माँ और बहन को निर्वस्त्र करके उनके बाल काट दिए गए। उसकी माँ भूख से मर गयी। और 15 साल की उम्र में अपनी बहन को अपनी आँखों के सामने मरता हुआ देखने के कुछ दिन बाद एनी भी भूख और बिमारी (typhus) से मर गयी।
होलोकास्ट की कहानियों का अंत नहीं है। बहुत कम लोग जो इस भयावय अनुभव के बाद भी अपने आपको ज़िंदा रख पाये वो पूरी ज़िन्दगी इसकी दहशत से निकल नहीं पाये।
एनी के परिवार की ही तरह लाखो लोगो को तड़पा तड़पा के मारा गया। हज़ारो की तादात में लोगो को गैस चैम्बर में ले जाते... घंटे दो घंटे तक उनकी चीखे सुनाई देती और फिर सब शांत हो जाता।
खुद को ज़िंदा रखने के लिए लोग दूसरे लोगो के मरने का इंतज़ार करते ताकि उनके मृत शरीर से कपडे चुराकर अपने आपको ठण्ड से बचा सके।
कभी एक खुशहाल और खूबसूरत ज़िन्दगी जीने वाले ये लोग जानवरो की तरह जीने को मजबूर कर दिए गए।
क्या आप जानते है, कि इन सबका दोष क्या था?? इनका दोष ये था कि ये ज्यूस थे। इनका दोष ये था कि उस समय का सबसे शक्तिशाली व्यक्ति , "हिटलर" इनकी ज़ात से नफरत करता था।
नफरत! बहुत छोटा शब्द है ये....पर ये एनी जैसी कई खूबसूरत बच्चों को कुचल देता है... ये परिवारो को रौंद देता है.... ये मानवता को ज़लील कर देता है। ये इंसानियत को कलंकित कर देता है। ये आदमी को आदमी नहीं रहने देता... जानवर बना देता है... एक क्रूर और निर्दयी जानवर... जिसका न धर्म होता है... न जात और न ही राष्ट्रीयता। नफरत में वो भारतीय होकर भी भारत को बर्बाद करना चाहता है और नफरत में वो वंदे मातरम् कहकर भी अपनी ही माँ के लाडलो को मिटाना चाहता है।
हिटलर इसी नफरत की मिसाल था... वो इतहास का वो काला पन्ना था जिसने एनी जैसे मासूमो के खून की स्याही से अपनी कहानी लिखी। आशा है... उम्मीद है... गुज़ारिश है... हम न हिटलर की नफरत को दोहराये और न एनी की दास्ताँ को!

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