Thursday, June 18, 2015

रवीश को इस्तिफु का जवाब


मेरे प्यारे रवीश
हाँ मैं तुम्हे रवीश ही बुलाऊंगा ; तुमने कभी मुझे जानने की, समझने की कोशिश जो नहीं की।
बस दुसरो की जेब में मुझे ढूंढते रहते हो..कभी खुद भी मुझे अपनी जेब में, या दराज़ में ही रख लिया करो।
पिछले 19 साल से यही... इसी ndtv में लगे हुए हो। तुम क्या जानो राजनीति में नैतिकता के नाम पर मुझे दिए जाने का दर्द?
पांच दिन से तुम्हारे भाई बंधू मेरी मांग किये जा रहे है। कभी सोचा है की यूँही पहले की तरह मांगे जाने पर मैं तपाक से दिया जाता रहा तो मेरी क्या value रह जायेगी? नहीं न? अरे तुम क्यों सोचोगे भाई? तुम्हारी तो खुद की नज़रो में मेरी कोई value ही नहीं है। होती तो आज तक एक बार तो मुझे दिया होता। अच्छा बड़ा कहते हो की मुझे गूगल पर तुमने बहोत ढूंडा। बस रहने दो!! गूगल पर सच्चे दिल से ढूंढने से तो भगवान् और अडवाणीजी भी मिल जाते है, मैं तो फिर भी छोटा सा इस्तीफा हूँ। हाँ वही छोटा सा इस्तीफा जिसे राजकुमार अपनी जेब में लिए फिरते थे।
ना! मोटा तो मैं रत्तीभर भी ना हुआ हूँ। हाँ शातिर ज़रूर हो गया हूँ। इतने सालो में इतना तो तेज़ हो ही गया हूँ की कहाँ मांगे जाने पे दिए जाना है और कहाँ गुपचुप ही जेब में रह जाना है ये खूब समझता हूँ।
मैंने अपने पे लिखी हर कहानी पढ़ी है रवीश बाबू। जैनेन्द्र की भी और गजेन्द्र (किसान) की भी। फर्क सिर्फ इतना है की जैनेन्द्र की कहानी 1937 में लिखी जाने के बावजूद सबको याद है। उस त्यागपत्र को पढ़ तुम भी रोये थे और गजेन्द्र के जीवन से दिए त्यागपत्र को पढ़ सिर्फ मैं रोया था।हर त्यागपत्र के पीछे एक कहानी होती है मेरे दोस्त। तुम्हारे दफ्तर में दिए जाने वाले गुड बाय मेल की भी कोई कहानी होगी। पर उन्हें कोई नहीं पढता क्योंकि उनकी हफ्ता दर हफ्ता मांग नहीं होती।
खैर तुम्हारा पत्र मैंने दो बार पढ़ा जैसा तुमने कहा था। हंसी भी आई पर मैं हँसते हँसते कम ही निकलता हूँ ये तुम्हे पता होना चाहिए था। अक्सर मैं मायूस होकर ही निकल पाता हूँ।
मैंने तो तुम्हारा पत्र सब दोस्तों में शेयर किया। तुम भी मेरा ये जवाब शेयर करोगे न?
तुम्हारे हाथ से किसी दिन लिखे जाने की चाह रखने वाला
तुम्हारा
इस्तिफु :)

(रवीश जी का इस्तीफ़ू को पत्र कुछ इस तरह था....

इस्तीफ़ू तू बड़ा ही 'नॉटी गेम चेंजर' है - NDTV http://khabar.ndtv.com/news/blogs/ravish-kumar-dear-resignation-plz-read-my-letter-twice-773172 )

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