पुश्तैनी काम है
ऐसे कैसे छोड़ दूँ?
उसने खीजकर कहा
और फिर बुनने लगा
अपने पुरखों के सपने।
धागे-धागे का हिसाब रखता
महीन से महीन कारिगिरी करता
साड़ी के एक पल्ले पर
अपनी आँखों की बची कुची रोशनी
भी कुरबान कर देता
क्या चचा...इतनी महंगी साड़ी कोन खरीदेगा?
ऊपर से लोकल माल
सहर में सब सबसाची की साड़ी खरीदे हैं
एजेंट ने कहा
ऐ तो वो कौनसी सस्ती है?
मेरा आधे रेट पे बिकवा दे
साड़ी हाथ में लिए चचा डटे रहें
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