Friday, May 15, 2020

आत्मनिर्भर

वो चल रहा था....
चलता जा रहा था..
टूटी चप्पल लिए,
पांव के छालों को अनदेखा किये,
एक शहर से दूसरे शहर,
गोद में दुधमुहा बच्चा लिए 
वो चल रहा था...
चलता जा रहा था...
वो खैरात की रोटी नहीं चाहता था,
अपने गाँव पहुँच कर..
आत्मनिर्भर बनना चाहता था!

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