मुझमें जो थोड़ा सा मैं बचा है... क्या उससे बचना मुमकिन है? पता नहीं कहां से उचक कर आ जाता है वो थोड़ा सा मैं... और फिर तुम थोड़ा थोड़ा कर उसे कुचल देते हो। बचा कुचा जो भी है, उसे बचा रहने दूं या उसे भी तुम बना दूं?
मुझमें जो थोड़ा सा मैं है, क्या उसे भी तुम बना दूं?
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