Sunday, July 26, 2020

लिखना

मैं - पहाड़ों तक जानेवाले रास्तों पर मुझे उल्टियां होती है।

वो - और समंदर?

मैं - समंदर के पास ही रहती थी, पर कभी जाना नहीं हुआ। बस इसी ग्लानि में मैं अब समंदर के पास नहीं जा पाती।

वो - पर यह जीवन तो है। और यह संसार भी।

मैं - इनका क्या? ये तो बेकार पड़ी चीज़ें हैं।

वो - पहाड़ सा जीवन। और समंदर सा संसार। डूब रही हो। यहीं पर लिख लो। अच्छा लिखोगी।

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