Tuesday, April 1, 2025

मेरे हिस्से के लोग

मुझे भी मिल जाएंगे मेरे हिस्से के लोग 
मैं भी परफॉर्म करूंगी देखना 
Chika की तरह 
Rj Princy की तरह 
और उस लड़की जैसी 
जो जावेद अख्तर से चर्चाएं करती है,
गजराज राव संग कविता पढ़ती है। 
कपिल शर्मा शो पर आऊंगी 
KBC में भी आमंत्रित की जाऊँगी 
मोदी जी से सम्मान पाऊँगी 
तुम देखना मेरी लिखी फ़िल्मों की भी बनेगी Filmography
Writer की जगह credits में मेरा नाम होगा। 
मुझे भी मिल जाएंगे मेरे हिस्से के लोग!

Thursday, March 27, 2025

Rewind

!! Rewind !!

बाल सफ़ेद हो चुके होंगे 
और कमर टेढ़ी!

न मैं तुम्हारी जुल्फों पर मरूंगी
न तुम मेरी चाल पर!

जब मैं होंगी 70 की 
और तुम 71 के!

तब Rewind करेंगे 
एक बार फिर..

उस दौर को 
जब मैं थी 20 की 
और तुम 21 के!

- मानबी

Poem by - Manabi Katoch

Movie - Ei Raat Tomar Aamar on Hoichoi TV @hoichoi.tv By @parambratachattopadhyay

Ft. - Anjan Dutta, Aparna Sen

Tuesday, March 25, 2025

मापदंड

हम औरतों को 
पुरुषों की बुद्धिमत्ता के 
मापदंड पर तौलते हैं। 

पुरुषों को कभी नहीं तौलते 
औरतों के हुनर के मापदंड पर। 

पुरुष जैसा अधिकार पाने के लिए 
एक स्त्री को समझना होता है क्रिकेट और फुटबॉल 
जाननी होती है राजनीति की बातें 
समान्य ज्ञान पर चर्चा करनी होती है 
और ड्राइविंग आना अनिवार्य हो जाता है। 

पुरुषों को किसी भी अधिकार को पाने के लिए 
खाना बनाना नहीं सीखना होता।
ससुराल पक्ष के ताने चुपचाप सुनने की 
ट्रेनिंग भी नहीं करनी पड़ती 
त्योहारों के नियम नहीं आने पर 
संस्कारों की कमी का आभास नहीं होता। 
नहीं करनी होती है उन्हें ऑफिस में घर की 
और घर में ऑफिस की चिंता। 

HR नहीं भांपते उनके गर्भवती होने का साल 
Maternity न देना पड़ जाए इस डर से 
नहीं जाती उनकी नौकरी। 

खाना खाने के बाद सीधा सुबह ऑफिस जाने की चिंता में सो सकते हैं पुरुष 
नहीं सोचना होता उन्हें कि झूठे बर्तन, बासी खाने का क्या करें। 

कोई तुलना नहीं है
पुरुषों को सोचना होती हैं सब बड़ी बड़ी बातें 
घर का खर्च 
बिटिया की पढ़ाई 
परिवार की सुख सुविधा 
माँ की बीमारी 
सब बड़ी बातें 

स्त्री छोटी छोटी बातों में उलझी होती है 
कल का नाश्ता, मेड का न आना,
सास की दवा 
बिटिया का टिफिन 
त्यौहार का व्यंजन 


मानवता की प्रगति

हम चार पांवों पर 
चला करते थे 

तरक्की की 
दो पांवों पर चले 

फिर तरक्की की 
जानवरों पर लदकर चले 

और तरक्की की 
तो मशीनों को दौड़ा कर चले 

थोड़ी और 
अब आसमान को चीरकर चले 

हिमालय पर पहुंचे 
फिर चंद्रमा और मंगल पर भी 

इन सभी चरणों में 
मानव शरीर जितना ऊंचा चढ़ा

मानवता उतनी ही नीचे गिरती गई। 

Saturday, March 22, 2025

तुलना

बाबा कभी कार नहीं चला पाए।
माँ भी।

माँ एक बार बीमारी के चलते 
हवाई जहाज में बैठ पाई थीं 
बाबा नहीं बैठ पाए कभी। 

माँ का जब मन हो, जो मन हो 
नहीं खरीद पाती थीं। 

बाबा लंबी यात्राओं पर 
नहीं जा पाए कभी। 

मैं कार चला लेती हूँ।

दादा विदेश यात्राओं पर जाता है।

मन किया वो मंगाते है हम दोनों 
खाना Zomato से 
और सामान Amazon से। 

फिर भी तुलना करते हैं 
पड़ोसी से। 

उसकी तुलना में कम है सब। 
उसके माँ बाबा ने शायद कार चलायी थी 
यात्राओं पर भी जाते थे। 


Tuesday, March 18, 2025

पहली बार

उसे कितना अच्छा लगा होगा 
जब पहली बार किसी ने 
उसकी कविताओं को समझा होगा। 

पहली बार हँसा नहीं होगा 
पहली बार नहीं पूछा होगा
"इसमें छंद नहीं है?"

पहली बार कहा होगा 
"कितना गहरा लिखते हो!"
"कितना अच्छा लिखते हो!"

पहली बार किताब छपवाने का 
प्रस्ताव रखा होगा।

पहली बार कवि को जब 
अपना पहला पाठक मिला होगा!

Sunday, March 16, 2025

अचार

पकवानों की महफ़िल में
अक्सर भूला दिए जाते हैं 

पर मुश्किल दिनों में यही हैं जो 
रूखी-सूखी को खाने लायक बनाते हैं 

लड़ते झगड़ते 
रूठते मनाते 
हर हाल में साथ देते 
खट्टे मीठे-तीखे
कुछ दोस्त अचार जैसे होते हैं!

अचार जीवन का सार है 
खट्टा मीठा तीखा सब है!