क्या लाशें बोलने लगती हैं?
फिर हम ज़िंदा लोगों को इंसाफ क्यों नहीं दिलाते?
बसों के टायर फटने का इंतजार क्यों करते हैं?
ऐक्सिडेंट के बाद उसे क्यों फूंकते हैं?
सब उजड़ जाने के बाद ही क्यों मुकदमा दर्ज होता है?
शोक के समाप्त हो जाने के बाद ही क्यों इंसाफ मिलता है?
क्या इंसाफ दिलाने से दोबारा कोई नहीं मरता?
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