लो! ख़त्म हुआ हिंदी दिवस।
और ख़त्म हुई हिंदी पर बहस।
22 राजभाषाये है.. तुम हिंदी दिवस ही क्यों मनाते हो?
बाकी 21 माइनॉरिटी में है, इसका फायदा उठाते हो?
अच्छा एक बात बताओ,
आखिर क्यों मिले हिंदी को इतना भाव?
दो चार गालियाँ छोड़ दो तो हिंदी में क्या रखा है?
वो हिंदी से क्यों इंप्रेस हो, जिसने अंग्रेजी चक्खा है।
अब तो हिंदी दिवस की बधाई भी "हैप्पी हिंदी डे" कहकर दी जाती है,
हिंदी का जन्मदिन समझकर, अंग्रेजी मोमबत्ती बुझाती है।
पर हिंदी है कोई लौ नहीं, जो बुझ जाए इस तरह भाई
इनके रक्षक ढेरों है..प्रेमचंद, बच्चन और परसाई।
जिसको हिंदी नहीं बोलनी, वो न बोले, कोई बात नहीं।
इसको बचाने की कोशिश किसी भाषा पर आघात नहीं।
हिंदी बोलो न बोलो, बस, उसका सम्मान करो ये आशा है।
तुम्हारी न सही.. ये तुम्हारे ही किसी भाई की.. मातृभाषा है।
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