हम सभी रामायण की कथा बचपन से सुनते और पढ़ते आ रहे है। हर साल रावण को जलाकर हम बुराई पर अच्छाई की जीत को मनाते है। हमे हमेशा ये बताया गया है कि रावण ही रामायण का असली खलनायक है।
हाँ! रावण खलनायक था पर मेरे मत में रामायण का असली खलनायक या कह लीजिये खलनायिका कोई और ही है। नहीं, मैं कैकयी या शूर्पणखा की बात नहीं कर रही। रामायण में घटे सभी अनहोनियों की जड़ यदि कोई है तो वो है कैकयी की दासी मंथरा।
मंथरा कैकेयी के लिए माँ सामान थी। मंथरा ने उसे पाल पोसकर बड़ा किया था। कैकयी को अंत तक ये कभी समझ में नहीं आया कि भलाई की आड़ में मंथरा उससे उसके जीवन का सबसे बड़ा दुष्कर्म करा रही है।
हमारे जीवन में भी कई बार ऐसी कई मंथरायें आ जाती है, जो अपनेपन की आड़ में हमारी सोच और बुद्धि को दूषित कर हमारे जीवन को नष्ट करके दम लेती है। और हम अपनी बर्बादी का दोषी रावण को ही समझते रहते है। पर हम ये नहीं समझते कि हमारी बुद्धि पर यदि कोई मंथरा हावी न हो तो शायद हमारी कहानी में कभी रावण के आने की जगह ही न बने।
आपके जीवन की मंथरा चाहे आपके कितने भी करीब का व्यक्ति क्यों न हो, यदि रिश्ते या दोस्ती को दरकिनार करके आपने इसे अपने से दूर नहीं किया तो आपका भी वही हश्र होगा जो कैकयी का हुआ!
- मानबी कटोच
No comments:
Post a Comment