२२ मार्च २०१५ को हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदीजी किसानो से मन की बात करने वाले है।
पर प्रधानमंत्री जी क्या है न की किसान का तो मन ही नहीं होता।
किसान का तो सिर्फ पेट होता है.…एक भूका अधनंगा सा पेट।
और अगर मन होता भी है तो उसे बातें सुनाई नहीं देती।
क्यूंकि उसका पेट हर वक़्त शोर मचाये रहता है।
प्रधानमंत्री जी, आप उपवास रख कर जब अमरीका का दौरा करते है,
तो हर कोई आपसे प्रभावित हो उठता है,
मिडिया आपकी भूख का फुल कवरेज करता है।
किसान भूखा ही अनाज उगाता है…
उसे भूखा ही मंडी में बेचने चला जाता है……
फिर भूखे पेट साहुकार का कर्ज़ा चुकाता है……
और एक दिन भूखा ही मर जाता है……
पर उसके इस उपवास से कोई प्रभावित नहीं होता।
न सरकार प्रभावित होती है , न अर्थ व्यवस्था,
न मीडिया प्रभावित होती है, न ही किसीकी सत्ता।
भूखे मरते इस किसान का और उपहास न करे ,
हो सके तो प्रधानमंत्री जी आप उनसे मन की बात न करके पेट की बात करे।
हो सके तो काट काट कर आधे हुए उनके पेट को और न कटने दे....
हो सके तो बस दो वक़्त का खाना देकर किसान को अब और न मरने दे।
Wow too good!
ReplyDeleteThanks Chetan :)
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