गोवा से आकर लगा कि क्या मैं ऐसा कुछ लिख सकती थी रोज़ वहाँ? जो उपन्यास बन जाता।
दादा के birthday के लिए गई थी। 20 अगस्त की रात को पहुंची। 21 अगस्त को सुबह साई मंदिर में पूजा हुई फिर हम एक old age home गए। अच्छा लगा। कुछ ही बुजुर्ग बाहर आए। जो इसे चलाती हैं उनकी माँ ने बताय कि करीब 26-27 साल पहले उन्हें कैंसर हो गया था। डॉक्टर बेटी ने प्रण लिया कि माँ ठीक हो जाएगी तो एक वृद्धाश्रम खोलेगी और माँ के ठीक होने पर वादा निभाया। आज तक निभा रही है। इसी वृद्धाश्रम में ऐसे बुजुर्ग है जिन्हें उनके बच्चे दिन-त्यौहार पर भी लेने नहीं आते। जब वो सुनते होंगे इस वृद्धाश्रम के गढ़ने की कहानी तो दुःख होता होगा न? कि काश डॉक्टर कालरा की माँ जैसी किस्मत होती उनकी भी।
क्या उनकी अवहेलना के पीछे बस यही कारण है कि उनके बच्चे heartless हैं या उनकी भी कोई कहानी है?
मैं बैठकर उनसे घंटों बात करना चाहती थी। उनकी कहानियां लिखना चाहती थी।
अगले दिन हम benolim
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