सोसाइटी...
यदि आप कभी किसी सोसाइटी में न रहे हो तो शायद आपको इसकी एहमियत न मालूम हो। इंडिविजुअल घरो के मुकाबले सोसाइटी खुशियों की दौड़ में हमेशा आगे रहती है।
इंडिविजुअल घर - जहाँ दर्जनों नीरस, बेबस, अनजान सेल्स मैन रोज़ घंटी बज बजाकर आपका जीना दुश्वार कर देते है।
सोसाइटी - जहाँ आप किसीका बेसब्री से इंतज़ार भी कर रहे हो तो उसके आने पर चौंकते नहीं क्योंकि गेट से चौकीदार आपको कॉल करके कहता है कि अमुक आया है...आपका हुक्म हो तो भेज दिया जाये। बिलकुल आकाओ वाली फीलिंग होगी आपको।
इंडिविजुअल घर - जहाँ आप पंडितजी के बताये हर उपाय सहजता से कर सकते है। गाय, कुत्ता, कौआ, सूअर, गधा सब बाहर ही मिल जायेंगे। जिस भी गृह की शांति के लिए जिस भी जानवर को रोटी, केला या खीर खिलानी हो खिला सकते है।
सोसाइटी - भाई ये दिक्कत तो है यहाँ। एनिमल्स आर स्ट्रिक्टली प्रोहिबिटेड, तो गृह शांति के उपाय के लिए जानवर ढूंढने के लिए हो सकता आपको नज़दीकी झोपड़पट्टी तक जाना पड़े।
इंडिविजुअल घर - सुबह की शुरुवात यहाँ चिड़ियाँ की चूं चूं से नहीं सब्जी और दूध बेचनेवालों की पुकार से होगी।
सोसाइटी - यहाँ माजरा थोडा रोचक है। सुबह सुबह खिड़की खोलते ही लोग ब्रांडेड जूता मोजा पहने भागते नज़र आएंगे। कोई शोर नहीं...कोई आवाज़ नहीं। कुछ मम्मी पापा बच्चों को खींचते और खुद खीझते भी मिलेंगे। घबराये नहीं! ये बस स्कूल बस पकड़ने की दौड़ का नज़ारा होगा।
इंडिविजुअल घर - यहाँ आपके पडोसी आपके घर के कमरो को गिनना और देखना चाहेंगे कि कही उनके घर के कमरे कम और छोटे तो नहीं।
सोसाइटी - यहाँ पडोसी आपके परदे, कारपेट और क्रोकेरी से आपको आंकेंगे क्योंकि घर सभी के एक जैसे ही होंगे।
इंडिविजुअल घर - शामे यहाँ आपको आपकी टीवी पर आ रही किसी मरियल से सिरियल को देखकर या देश और दुनियां की बासी खबरे सुनकर बितानी पड़ेगी।
सोसाइटी - यहाँ शामे भी सुबह से कम खूबसूरत नहीं होंगी। पार्क में खेलते बच्चे, स्विमिंग करती महिलाये, टहलते बुज़ुर्ग जोड़े। सब खूबसूरत।
सोसाइटी एक सपनो की दुनिया सी है। जब तक यहाँ खुश रह सकते है...रहिये... क्या पता जिन्दी कब आपको इंडिविजुअल घर की हकीकत में ले जाए!
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