इक मैं हूँ जिसने तेरी याद में बिता दी उम्र सारी..
इक तू है की हर शाम का हिसाब रखता है...
#मानबी
#शाम होने को है, अब तो मेरी मोहब्बत की रौशनी ले लो...
की ताउम्र तो हुस्न की सहर नहीं रहती!
#मानबी
कुछ शाम सा चुभते देखा था तेरी आँखों में
सुबह की ख्वाहिश में मला करता था जिन्हें तू रात भर!
#मानबी
रात की महफ़िल के वास्ते सजने संवरने लगे है
हम #शाम ही से काफिये पे काफ़िया मिलाने लगे है।
#मानबी
© Manabi Katoch
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