Monday, October 19, 2015

Kaafiya!!!!

कुछ इंतज़ार सा देखा था उसकी आँखों में मैंने
मेरे न आने पर जो आंसू बनकर छलकते रहे।
#KaafiyaMilaao

न काफ़िया मिलाया, न नज़्म कोई लिखी
उसने बस आह ही भरी थी
जिसको #शायरी समझ ली मैंने।
#मानबी

दिल हार चुके है अब जाँ भी दे देंगे,
इक #शेर  कहा तुमने और हम सब लूटा बैठे।
#मानबी

कुछ शेर सा लिख बैठते...कुछ शायरी सी बन जाती..
जब भी सोचा करते,आज सीधे सीधे तुमसे दिल की बात कहेंगे।
#मानबी

@KaafiyaPoetry
इक #ख्वाब सा बुना करते थे ज़िन्दगी की तेज़ धुप में,
अक्सर सर्द रातो में वही ओढ़ कर सुलाया है उसको मैंने
#मानबी

चाँद तोड़के ले आऊंगा कुछ ऐसा ही कहा था उसने
दिल को चाँद समझता मेरे ..तोड़ कर ले गया आखिर
#मानबी

चाँद सा कोई मिले यही ख्वाहिश रही मेरे मेहबूब की
खुद दाग लगा लिए किस्मत पे अपनी जब ये जाना मैंने
#मानबी
#KaafiyaMilaao @KaafiyaPoetry

No comments:

Post a Comment