अंजाम-ए-मोहब्बत से डरता रहा
खुद मोहब्बत न की, औरो की मिसाले देता रहा
डर था उसे मैं नींदे चुरा लूंगा उसकी
तिजोरियों से निकाल निकालकर नींद लेता रहा
#Manabi
काली घटाओ से तुम खौफ न खाया करो
बारिशो का मौसम है, घर वक़्त पर आया करो :)
#Manabi
ये मसरूफियत ये बहाने सब समझते है सनम।
इश्क़ में पहले भी भूले जा चुके है कोई नयी बात नहीं।
#Manabi
मेरे बगैर तन्हा रहने की शिकायत करता रहा।
गैरो की महफ़िल में न जाने किसकी खातिर जाता रहा।
#Manabi
मेरे ख्वाबो में तन्हा आनेवाले
लगता है तुझको मेरी नियत का पता नहीं अब तक
#Manabi
वो कहते थे अपनी पाँव चादर में रखो
आँसमा को चादर समझता था मैं वो ये जानते न थे
#Manabi
पत्थर होता तो जलकर भी साथ निभाता
मोम था मेरा मेहबूब..ज़रा सी लौ से पिघल गया..
#Manabi
फासला इतना रखो की जल न जाओ कही..
मोम हो...मुझसे लिपटने में गल न जाओ कही..
#Manabi
उसकी आँखों में मैं बसता था ताबीर तो होना ही था
मेरी आँखों में ख्वाब बनकर जो रहा हकीकत हो न सका
#Manabi
ग़लतफहमी की यही वजह काफी थी दोस्त
अखबार में अक्सर सिर्फ सूरत छपी तेरी...
नियत ही न छपने पायी
#Manabi
तेरी अपनी हसरत हूँ तेरे दिल के सिवा कही न रह पाउँगा
ठुकरा न मुझको जल्द दिल से निकल हकीकतों में बदल जाऊंगा
#Manabi
भीड़ में रहकर भी न खोने का मज़ा और
अपनी राहो पे रहकर भी भटकने का मज़ा और
#Manabi
रेत का बना हूँ..छूने से डेह जाऊ न कही।
तू मुझे पत्थर समझता है तो पत्थर ही सही।
#Manabi
ताउम्र हिसाब उसके सवालो देता रहा मैं
खुद अपने उधारी का हिसाब माँगा तो रिश्ता बना लिया उसने
#Manabi
हैरानगी है की मुझे जानता भी न था वो
पर सरहद पे जान कर मेरे लिए जान देनेवाला वो अजनबी ही था
#Manabi
खुद पर्दा गिरा के अक्ल पे हमारे
मेहबूब मेरा कहता की हम कुछ नहीं जानते
दर्द के पन्ने पलटकर देखो
फिर कहना की हम कहना नहीं मानते
#Manabi
न मिल मुझसे काली अँधेरी रातो में
डर है मुझे तस्सव्वुर में तू मेरी नींदे न चुराकर ले जाये कही
#Manabi
है तेरे मेरे दरमियान जो
वो अपना राज़ ए ख्वाब है
देखना मेरे हमनफ़ज़ तू किसी को ये बता न दे
#Manabi
मैं उसकी हसरतो का तामील बनने में इतना मशगूल रहा
मेरी चाहत में मरा जाता था वो मुझे मालूम न था।
#Manabi
रातो को सोता न था वो मेरे इंतज़ार में
ख्वाबो में आता रहा मैं उसकी तलाश में
#Manabi
गुफ्तगू तो नहीं बस हाल ही बता देता है वो
सामना रोज़ होता है मगर आइना दिखा देता है वो
#Manabi
आसमाँ पे दिखने लगे है पंछी नए आजकल
लगता है बच्चों को भी अब बड्डपन की तलाश है
#Manabi
मेरी जान से खेलता रहा उम्र भर
मेरे कातिल को अब मेरे दिल की तलाश है
#Manabi
न दोस्तों को न दुश्मनो को ढूंढता हु मैं
कई रोज़ से भूखा हूँ, मुझे रहमदिली की तलाश है
#Manabi
तुम जुगनुओं की तलाश में सितारों को न भुला देना
वो चमकते तो बहोत है, पर जीते नहीं ज़्यादा
#Manabi
कुछ दूर ही सही, तू साथ चलेगा तो निखर जाऊंगा
मुक्कद्दर में न सही, दिल में भी रहेगा तो संवर जाऊंगा
#Manabi
मैं कलम से उनके दिल को छू लूँ न कही
यही सोचकर तलवार उठाये रहते है लोग
#Manabi
नज़दीक जितना भी हो दिल तक न पहोचने पायेगा
तू पहलु में रहे न रहे, दिल से न सरकने पायेगा
#Manabi
अफवाहें तुमने सुनी होंगी मेरे जिंदा होने की
दिल जलाकर कौन जीता रहा है सनम
#Manabi
बिन कुछ पाये लिखनेवाले
अक्सर तुझको पढ़कर सोचता हूँ
तेरे इस न पाने से मैंने क्या कुछ जाना है
#Manabi
कोई किसीकी तरह होता तो मैं जी लेता
किसी भी नाम से हो बस जाम होता तो मैं पी लेता
#Manabi
सदका ए झटको का सफ़र है ज़िन्दगी
जलसा ए हिसाबो की कबर है ज़िन्दगी
#Manabi
मोहब्बत बेशक न करो, नफरत न करना
सोहबत में रहो न रहो यादो में रहना
#Manabi
चाहत पे काश बस मेरा भी होता
मैं फिर यही चाहता की तुझे कोई और चाहता न हो
#Manabi
पत्थर बन गया हूँ तेरे इंतज़ार में
तेरे आने की देर है बस.. दिल के पिघलकर दरिया बनने में
#Manabi
यूँ तो दूर दूर तक नहीं कोई रिश्ता तुझसे ग़ालिब
फिर भी ये गुमाँ है की मेरी ही तरह तू भी बदगुमाँ रहा होगा
दर्द से भरकर जिस तरह छलकता है पैमाना मेरा
इसी तरह तूने भी अपना हर शेर कहा होगा।
#Manabi
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