Tuesday, November 11, 2014

Aaj Amrita main tumhe jagaana chaahti hu!


अमृता... जिस तरह तुमने कभी वारिस शाह को जगाया था...
आज मैं तुम्हे जगाना चाहती हूँ...
तुम पंजाब के हाल पर रोई थी..
मैं तुम्हे आज देश का हाल दिखाना चाहती हूँ....

तुम हैरान थी कि हीर के दर्द पर किताबे लिखने वाला वारिस शाह,

पंजाब की लाँखो लड़कियो का दर्द सुन, कब्र से क्यूँ नही उठता?
मैं परेशान हूँ कि आज सारे देश की सैंकड़ो  लड़कियाँ रोती हैं....
अमृता क्या कब्र से तुम्हे उनका दर्द नही दिखता?

वो विभाजन का दर्द था... जिससे रूहें काँप गयी.. 

कुछ वक़्त तक हीरे सिसकी.. पर फिर बाहार भी तो आई...
पर ये कैसा दर्द है जो ख़त्म ही नही होता है...
कभी दहेज..कभी रेप तो कभी भ्रूण हत्या के रूप मे रोज़ उभर आता है। 

अमृता...क्यूँ तुम इस दर्द पे अपनी कविता का मरहम नही लगाती?

पंजाब की हज़ारो लड़कियो का हाल सुनाने वाली...
तुम भारत की इन सैंकड़ो बेटियो पर कोई नज़्म क्यूँ नही सुनाती?

जब पाँच नदियो के पानी मे ज़हर मिला,

 तो खेती ज़हर से भर गयी। आज लोगो के खून मे ज़हर मिला है...
देख!!....आज तो इंसानियत ही मर गयी। 

तब रांझे सिर्फ़ गाना भूले थे..

अब रांझे जीना भूल गये...
तब हीरे क़ब्रो पर रोती थी,
अब रोते रोते उनके आँसू ही सूख गये। 

तुम उनका किस्सा लिखने को एक और वारिस शाह ढूंडती थी...

मैं इनकी व्यथा बताने को एक और अमृता ढूंडती हूँ...

अमृता...जिस तरह तुमने वारिस शाह को जगाया था..

मैं तुम्हे जगाना चाहती हूँ। 

 'अज अंक्खा वारिस शाह नु '… अमृता प्रीतम की इस कविता ने एक ज़माने में विभाजन के दर्द को ताज़ा कर दिया था। अमृता की इस कविता को जब मैंने पढ़ा.… और बार बार पढ़ा तो लगा की जिस तरह अमृता ने वारिस शाह को कब्र से जगाया था , आज मैं भी अमृता को जगाऊ और विभाजन से भी बढ़कर जिस दर्द से आज देश त्रस्त है वो दर्द उन्हें सुनाऊ । जिन लोगों ने अमृता की वो अत्भुत कविता नहीं पढ़ी है उनके लिए उस कविता को भी यहाँ लिख रही हुँ. और क्यूंकि ये कविता पंजाबी में है इसलिए उसका अंग्रेजी में अनुवाद भी पेश करती हुँ. यह कविता तथा अनुवाद दोनों ही www.folkpunjab.org से ली गयी है. जिसके लिए मैं उनकी आभारी हूँ। 



Aj aakhan waaris shah noo kito.N qabra.N vicho.N bol!
Te aj kitab-e-ishq da koi agla varka phol!
Ik roi si dhii punjab dii tuu likh-likh mare vain
Aj lakkha.N dheeyan rondian tainuu.N waaris shah noon kahan
Uth darmandan diaa dardiiaa uth tak apna punjaab!
Aj bele laashaa.N vichiiaa.N te lahu dii bharii chenaab!
Kise ne panja paania.N vich dittii zehar rala!
Te unhaa.N paaniaa.N dharat nuu.N dittaa paanii laa!
Es jarkhej zameen te loo.N loo.N phutiaa zehar
Gith gith chadiaa.N laliyaa.N , fut fut chadiaa kehar
Vihoo.N vilissi vaa fir van van vaggi ja
Ohne har ik baans di vanjhli ditti naag bnaa
Naaga.N keele lok moo.Nh bus fir dang hi dang
Plo plii panjab de neele pai gye ang
Ve glio.N tutte geet fir traklio.N tutti tand
Trinjhno.N tuttia.N sahelian charkhde ghookar band
Sne sej de bediya.An ludhan dittian rodh
Sne dalia.N peengh ajj piplaa.N diti tod
Jitthe vajdii phuuk pyaar di ve oh vanjhli gayi guaach
Ranjhe de sab veer aj bhul gaye usdi jaach
Dharti te lahu vasiya, qabran payiyan chon
Preet diyan shaahazaadiiaa.N aj vich mazaaraa.N ron
Ve aj sab ‘qaido’ ban gaye, husn ishq de chor
Aj kitho.N liaaiie labbh ke waaris shah ik hor
Aj aakhan waaris shah noon kito.N qabra.N vicho.N bol!
Te aj kitab-e-ishq da koi agla varka phol!
Lyrics contribution: Pramod Varma and Manoj Sharma

Translation

I say to Waris Shah today, speak from your grave
And add a new page to your book of love
Once one daughter of Punjab wept, and you wrote your long saga;
Today thousands weep, calling to you Waris Shah:
Arise, o friend of the afflicted; arise and see the state of Punjab,
Corpses strewn on fields, and the Chenaab flowing with much blood.
Someone filled the five rivers with poison,
And this same water now irrigates our soil.
Where was lost the flute, where the songs of love sounded?
And all Ranjha’s brothers forgotten to play the flute.
Blood has rained on the soil, graves are oozing with blood,
The princesses of love cry their hearts out in the graveyards.
Today all the Quaido’ns have become the thieves of love and beauty,
Where can we find another one like Waris Shah?
Waris Shah! I say to you, speak from your grave
And add a new page to your book of love.



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