Tuesday, June 25, 2024

बड़ी भाभी

बड़ी भाभी की बीमारी का खुलासा तब हुआ, जब अंजू की शादी में वह जीजाजी पर चीख़ पड़ी थीं। 
सबको पता था कि वह बीमार है। इलाज भी चल रहा था। फिर भी बड़े भैया और दीदी में बातचीत बंद हो गई। जीजाजी के मान को जो ठेस पहुंची थी। ऐसे कैसे जाने देते। 

वो एक दिन की बात नहीं थी। सब जानते थे। 

बड़े भैया तब पढ़ना चाहते थे। इसलिए बड़ी मम्मी बीमार हुई तो छोटे भैया की शादी करा दी गई। कभी ये बिज़नेस कभी वो, छोटे भैया के काम का कोई ठिकाना नहीं था। बच्चे हुए, तो बड़े भैया के ऊपर मढ दिए गए। 

बड़ी भाभी ने आते ही दोनों बच्चों की जिम्मेदारी संभाल ली। 
एक कमरे का मकान था शहर में। उसी में ये नवविवाहित जोड़ा दो बच्चों के साथ सोता था। 

बच्चों को खिलाना, पिलाना, स्कूल छोड़ना-लाना, बीमारी में रात रातभर जागना, सब किया बड़ी भाभी ने। 
लोग उनकी मिसाल देने लगे थे।

फिर अपने बच्चे हुए... फिर भी सिलसिला जारी रहा। छोटे भैया के बच्चे जब तक कॉलेज तक नहीं पढ़ लिए वहीं रहे। 
अब अंजू की शादी में भी बड़े भैया कोई कमी नहीं रखना चाहते थे। AC, फ्रिज, गाड़ी सब देना था उनको।
 
इतने सालों से त्याग की मूर्ति बनी रही बड़ी भाभी को, पता नहीं उस दिन क्या हो गया था। मूर्ति ही बनी रहती तो हार चढ़ाते न लोग उनपर? अचानक इंसान बन गईं! सारा गुबार निकाल दिया मन का। 

कुछेक महीने तक बड़े भैया और दीदी में बातचीत बंद रही।

फिर एक दिन भाभी ने खुद को फांसी लगा ली। 

सब लोग आए। दीदी भी पहुंच गईं। जीजाजी भी। 
सारे मनमुटाव ख़त्म हो गए। आख़िर खून का रिश्ता था, अपने ही भाई से कैसा मनमुटाव। जिसका दोष था वो तो चली गयी। अब कैसा बैर!

बातचीत शुरू हो गई। आना-जाना चलने लगा। शायद जीजाजी का मान वापस मिल गया था, भाभी के चले जाने से। 
बड़े भैया की दूसरी शादी के लिए दीदी ने बहुत साथ दिया। देखने-दिखाने का काम उनके घर पर ही हुआ करता था। खूब रौनक लग गई थी उन दिनों। दोनों भाई-बहन घंटों बातचीत करते और हर रिश्ते को बारीकी से परखते। दीदी का कहना था कि इस बार वह खुद परखकर रिश्ता करवाएंगी अपने भाई का। कोई गलती नहीं होने देंगी। 

नई भाभी के साथ उनकी खूब बनती है। सुना है भैया भी अब ख़ास ख्याल रखते हैं कि किसी और के तो क्या, उनके खुद के बच्चों के कारण भी नई भाभी को कोई परेशानी न हो!

Sunday, June 23, 2024

बहुत कुछ!

मैं छुट्टी पर चली गयी। 
मुझे लगा मैंने इंतजाम तो कर ही दिया है। 
अपनी दोस्त को कह तो दिया है कि तुम्हारा ख्याल रखे। 
अब कैसे और कितना ख्याल रखे ये भी specify करती तो थोड़ा ज़्यादा हो जाता न?
एक तो बेचारी ख्याल रखने को राजी हो गई थी। यही बड़ा एहसान था। 
उसने ख्याल तो रखा ही पर अपने हिसाब से। 
जब तुम्हें पानी की जरूरत थी तब नहीं दिया।  जब नहीं थी तो खूब दिया। 
मैं वापस आयी तो तुम सूख चुके थे। मैंने पानी दिया, खाद डाला, सब किया। 
मुझे लगा मैंने तुम्हारे लिए बहुत कुछ किया!
पर तुम...
किसी के लिए कुछ करने का एक वक़्त होता है। बाद में बहुत कुछ करके हम कुछ बदल नहीं सकते!