सुना है प्लूटो वापस आ गया।
पिछ्ले कुछ सालों से खोया हुआ था कहीं।
इतने सारे भाई बहनों में सबसे छोटा...
पर न सूरज ने सुध ली उसकी, न चाँद ने उसे कभी मिस किया।
न जगह जगह इश्तहार छपे, न थाने में रपट लिखाई।
बस यूँही अकेला भटकता रहा होगा, भूखा-प्यासा, बेघर..
अच्छा! कुछ कमाता, धमाता भी तो नहीं था, न लाइफ थी उस पर,
फिर धरती वालों को भी क्यूँ होती उसकी फ़िकर?
पर अब वापस आ ही गया है, तो रख लो...
मंगल और चाँद की तरह इम्पोर्टंस कहां मांग रहा है कोई,
पड़ा रहेगा किसी कोने में, बस एक बेपरवाह प्लानेट बनके।
फिर कभी मूड हुआ तो बेदखल कर देना
और मन चाहा तो ले आना वापस...
सुना है प्लूटो वापस आ गया ....
- मानबी
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