सियासतदारों के हाथों का सामान बन जाते हैं।
दुश्मनों से कह दो जश्न की तैयारी कर लें
हम अपनों का लहू देकर उनका जाम बन जाते हैं।
हाँ चलो! एक बार फिर हिन्दू और मुसलमान बन जाते हैं।
ये एजुकेशन वेजुकेशन सब छोड़ो यार
इतिहास क्यूं पढ़े भला, लॉ जानके क्या करना है
इससे अच्छा तो हम वॉट्सएप यूनिवर्सिटी के कद्रदान बन जाते हैं।
हाँ चलो! एक बार फिर हिन्दू और मुसलमान बन जाते हैं।
नासा क्या करता है, उससे हमको क्या,
ईसरो गया तेल लेने, अर्थव्यवस्था को मारो गोली
बस बंटवारे की निति के हम गुलाम बन जाते हैं।
हाँ चलो! एक बार फिर हिन्दू और मुसलमान बन जाते हैं।
हम पढ़े लिखे हैं तो क्या, हम एक पक्ष ही देखेंगे
जो सहमत नहीं लगता हमसे, उसको गाली दे देंगे
न गीता पढ़ी न कुरान, फिर भी पंडित और इमाम बन जाते हैं।
हाँ चलो! एक बार फिर हिन्दू और मुसलमान बन जाते हैं।
अरे अब तक न अक्ल आई क्या तुमको?
बच्चे हो? अब तक न अक्ल आई क्या तुमको?
ये नेता ही हैं ... गौर से देखना.. कि.. ये नेता ही हैं
जो कुर्सी के लिए कभी अल्लाह तो कभी राम बन जाते हैं।
सत्ता के लिए ये कभी हिन्दू तो कभी मुसलमां बन जाते हैं।
अपनी-अपनी कौम को बचाने का दावा करने वालों
ये कैसे मज़हब हैं कि हम इंसानियत छोड़कर,
हैवान बन जाते हैं?
आखिर क्यों...हम हिन्दू और मुसलमान बन जाते हैं?
- मानबी
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